मंगलवार, २७ जुलाई २०१०
भैया हमरे डी.एम बाटे॥
भैया हमरे डी.एम बाटे॥
बीच सड़क दौड़ा दूगी॥
जौ बीच बजरिया अकडो गे॥
सूली पे चढवा दूगी॥
जब मै चलती रुक जाती है॥
सैट सहेलियों की टोली॥
मै रुकती जब खुद रुक जाती॥
सात रंगों से रंगी घोड़ी॥
अगर अब पीछे मेरे पड़ोगे॥
चक्की में पिसवा दूगी॥
बीच बजरिया अकडो गे॥सूली पे चढवा दूगी॥
मै हंसती तो मोती झरते॥
हर संभव प्रयास के॥
तेरी तो साड़ी चलन बुरी है॥
नियत तो लगती पाप के॥
देखना मेरा सपना छोड़ दे॥
नहीं सरे आम मरवा दूगी॥
बीच बजरिया अकडो गे॥सूली पे चढवा दूगी॥
मेरे पापा की तूती बोले॥
हाथ इलाका जोड़े॥
प्रधानिं मेरी मम्मी जी है,,
जिधर चाहे उधर मोड़े॥
सभी सभ्यता प्रशंसक बन जा॥
नहीं दंड बैठक करवा दूगी॥
भैया हमरे डी.एम बाटे॥
भैया हमरे डी.एम बाटे॥
बीच सड़क दौड़ा दूगी॥
जौ बीच बजरिया अकडो गे॥
सूली पे चढवा दूगी॥
जब मै चलती रुक जाती है॥
सैट सहेलियों की टोली॥
मै रुकती जब खुद रुक जाती॥
सात रंगों से रंगी घोड़ी॥
अगर अब पीछे मेरे पड़ोगे॥
चक्की में पिसवा दूगी॥
बीच बजरिया अकडो गे॥सूली पे चढवा दूगी॥
मै हंसती तो मोती झरते॥
हर संभव प्रयास के॥
तेरी तो साड़ी चलन बुरी है॥
नियत तो लगती पाप के॥
देखना मेरा सपना छोड़ दे॥
नहीं सरे आम मरवा दूगी॥
बीच बजरिया अकडो गे॥सूली पे चढवा दूगी॥
मेरे पापा की तूती बोले॥
हाथ इलाका जोड़े॥
प्रधानिं मेरी मम्मी जी है,,
जिधर चाहे उधर मोड़े॥
सभी सभ्यता प्रशंसक बन जा॥
नहीं दंड बैठक करवा दूगी॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर