हमारा भारत गावो में बसा है। गाँव के अन्दर भिन्न भिन्न प्रकार की जाती के लोग निवास करते है॥ उनकी रहन सहन बोली भाषा में भी अंतर पाया जाता है॥ उसी गाँव के अंदर जिसकी संख्या अधिक होती है, और उंच जाती के है जैसे जमीदार, मिश्रा जी और भी अनेक बड़े लोग या फिर हम यह कह सकते है जिस गाँव में जिस जाती की संख्या ज्यादा होती है ॥ उसी जाती का अधिक बोल बाला होता॥ वे उसरी जातियों को तंग करते है । जैसे ॥ नाई..तेली ,कुम्हार..लोहार.बढ़ाई , धोबी और भी अनेक जाती के लोगो को ये जातिया तंग करती है॥ जिनकी जन्ख्या अधिक होती है॥ जैसे हमारे उत्तर प्रदेश में पहले नाई लोग ठाकुर ब्राम्हण के बर्तन धोते थे॥ पत्तल उठाते थे। शादी ब्याह में बहुत हां हुजूरी करते थे॥ अब उनके बच्चे पढ़ लिख रहे है ॥ वे गाँव में ये सब काम नहीं करना चाहते है॥ जो अब वहा के लोग उन्हें तंग करना चालू कर दिए है। कहते है की हमारे पुर्बजो ने जो जमीन तुम्हारे पूर्वजों को दे राखी है । उसे हम ले लेगे अगर तुम हमारी गुलामी नहीं करो गे । तो उनके घरो में आग लगा दी जाती उन्हें धमकाया जाता है । वे लोग थाणे में शिकायत करने नहीं जाते है॥ दर के मारे ॥ अंत उनके साथ यही होगा या तो वे लोग गाँव छोड़ कर दर दर की ठोकर खाए या फिर वह काम करे जो उनका समाज उन्हें करने के लिए मनाही करता है और उना मन भी॥ नहीं दबंगों की गलिया और गोलिया झेले ॥ मै यह पूछना चहता हूँ की क्या वे भारत के नागरिक नहीं है॥ सरकार का भी तो कर्तव्या बनाता है की जनता का ध्यान दे अभी भी कितने अन्य जातियों के लोग गुलामी की जंजीर से आजाद नहीं हुयी है । काफी लोग तो गाँव छोड़ देते है और कही भी गुजारा कर लेते है॥ वैसे भी कम जातियों के लोग अब तो अपना जाति ही बदल दिए है ॥ क्या करे उनकी ये मजबूरी है हमारे गांवव में कितना भी पढ़ा लिखा व्यक्ति क्यों न हो ॥ उसे उसकी जाति से दबंद लोग सम्भोधित करते है ॥ क्या इन जातियों का उद्धार होगा॥
केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..
यदि ऐसा भी कहीं होता है .. तो ये अफसोस जनक हैं !!
ReplyDeleteदेखिएँ राजाशाही देश में लोकतंत्र प्रणाली आने के साथ ही ख़त्म कर दी गयी है ,अगर इस तरह से किसी भी जातियों को दवाया जा रहा है या शोषण किया जा रहा है.तो कानून में ऐसे लोगों को सजा दिलाने के कड़े प्रावधान है.
ReplyDeletepuri ma'm and sen ji ho sakataa hai ki isakaa shikaar ham khud ho rahe ho aur meraa parivar bhee vakt aane par mai aap se madad ki guhaar jarur karoogaa.. hamare gaon me to sabhyataa naam ki koee cheez hi nahi hai.............9871089027
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