मै सपनों का अनोखा सावन हूँ॥
जो झमक झमक के बरस रहा हूँ॥
मै भी प्यासा उस पल का॥
जिस पल के कारण ठमक रहा हूँ॥
जब मै आटा प्यास बुझाता॥
वीय वियोग दोनों को मिलाता॥
हरी भरी बगिया के अन्दर ॥
मोर नाचता बीन बजाता ॥
मै उसके आँगन के अन्दर॥
सुन्दर बनके उछल रहा हूँ॥
कोयल गीत सुनाती रहती॥
चातक चकोर को बुलाता॥
इन फूलो की सुन्दर कलियों पर॥
चंचंल भ्रमर घूमने आता॥
सदा कदा नभ मंडल में मै॥
लाठी ले के मटक रहा हूँ॥
खिल जाते है वन उपवन सब॥
जीव जंतु सब आगे बढ़ जाते॥
खिला गुलाब किसानन के घर॥
उनके दुःख दारुण कट जाते॥
उस सुन्दर बेला में मै भी॥
धीरे धीरे बिदक रहा हूँ/॥
मै सावन हूँ॥
शम्भू नाथ
बहुत सुन्दर रचना है। धन्यवाद्
ReplyDeletethankyou ma'm
ReplyDeleteअच्छी रचना ।
ReplyDeleteखूबसूरत रचना.....
ReplyDeleteajay ji and sangita ji ,,dhanyavaad..
ReplyDeleteआपने तो कमाल का लिखा है. आपको बधाई.
ReplyDeletethankyou soni ji.....
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