Skip to main content

पृथ्वी पर इस्लाम का समय अब पूरा हो चुका है ?


अनिरुद्ध शर्मा

अमेरिका में कार बम विस्फोट के सिलसिले में पाक-अमेरिकी नागरिक गिरफ्तार.

ये कुछ दिनों पहले की खबर है और इस तरह की खबरें अमूमन हर थोड़े दिन में सुनने में आती हैं. दुनिया धीरे-धीरे दो भागों में बंटती जा रही है - एक इस्लामिक और एक गैर-इस्लामिक. ये सच है कि हर मुसलमान आतंकवादी नहीं होता और ये भी सच है कि दुनिया का 8० फीसदी आतंकवाद इस्लामिक आतंकवाद है. मेरी बात को अन्यथा कतई न लिया जाए, मैं एक धर्म के रूप में इस्लाम का सम्मान करता हूँ. मैं पैगम्बर मोहम्मद के जीवन से वाकिफ हूँ. मोहम्मद का पूरा जीवन लड़ाइयों में बीता लेकिन फिर भी उनका सन्देश शांति और भाईचारे का था. लडाइयां उनकी मजबूरी थी क्योंकि वो समय, वो परिस्थितियाँ कुछ और थी. आदमी जंगली था और आपसी लड़ाइयों में उलझा हुआ था, उसे एकजुट करने के लिए उन्होंने सबको जीता. लेकिन समय बदलने के साथ बहुत सी चीज़ें बेकार हो जाती हैं, सिर्फ वस्तुएं ही नहीं, विचार और क़ानून-कायदे भी बेकार हो जाते हैं. वो समय कब का बीत चुका. उस समय की दुनिया और आज की दुनिया में ज़मीन-आसमान का फर्क आ चुका है लेकिन इस्लाम के अनुयायी इसे स्वीकार करने से इनकार करते हैं, वे वक़्त के साथ चलने को अधर्म मानते हैं. वे आज भी वही जंगली और बर्बर जीवन शैली अपनाए रहना चाहते हैं. उनका समय, उनके विचार जड़ हो गए हैं, एक ही जगह रुक गए हैं और बहता पानी अगर रुक जाए तो वो सड़ जाता है. यही हुआ है. गैर-इस्लामिक लोग अगर इस्लाम को न समझ पायें तो बात समझ में आती है लेकिन इस्लाम का दुर्भाग्य ये है कि उसके अनुयायी ही उसे नहीं समझ पाए. आज क्या इस्लामिक और क्या गैर इस्लामिक सब उसे जिहाद का पर्याय ही मानते हैं मानो अगर क़त्ले-आम न हो तो वो इस्लाम ही नहीं है. मैं ऐसा नहीं कहता कि सभी मुस्लिम उसे जिहाद मानते हैं लेकिन ऐसा मानने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है और समझ वालों की कम वरना पढ़े-लिखे और अच्छे घरों के नौजवान क्यों आतंकवादी बनाते. इस्लाम अपने शुद्ध रूप में खूबसूरत है लेकिन उस शुद्ध रूप को समझने वाले लोग कब के ख़त्म हो चुके जिस तरह अब हिन्दू धर्म के शुद्ध रूप को समझने वाले लोग भी कम होते जा रहे हैं. आज जो संस्कृति का झंडा उठाये हुए हैं वे कपड़ों को ही धर्म समझते हैं। उन्हें उसके उच्च मूल्यों का ज्ञान तो दूर, आभास भी नहीं है. वे ठीक इस्लामिक आतंकवादियों की कार्बन-कॉपी होते जा रहे हैं. खैर, हमारा विषय ये नहीं है, बात हो रही है इस्लाम की. सोचने वाली बात ये है कि अब जब दुनिया आगे की ओर बढ़ रही है ऐसे में इस्लाम का ये पिछड़ापन उसके लिए चुनौती है. कोशिश की जा सकती है कि उन्हें इस्लाम का सही अर्थ समझ में आये लेकिन जड़ हो चुकी बुद्धि में कुछ भी उतरना लगभग असंभव हो जाता है. तो क्या ऐसा कहा जा सकता है कि पृथ्वी पर इस्लाम का समय अब पूरा हो चुका है, उसे जो भलाई इंसान की करनी थी वो उसने कर दी और अब सिर्फ नुकसान ही उसकी झोली में बचा है जो उसके अपने ही लोगो ने डाला है.
इस्लामिक संस्कृति ने हमें बहुत सी खूबसूरत चीज़ें दी हैं इसमें कोई शक नहीं. बहुत सी समृद्ध कलाएं जैसे भवन निर्माण जिसका बेहतेरीन नमूना ताजमहल है. लेकिन ये सब इतिहास बन चुका है, मौजूदा स्थितियों में वो कुछ भी रचनात्मक नहीं दे रहा है बल्कि जो कुछ भी रचनात्मक है उसे ख़त्म कर रहा है.
इन परिस्थितियों में दो ही बातें हो सकती हैं, या तो मुस्लिम धर्म के कुछ ऐसे नुमाइंदे सामने आएं जो दुनिया को उसका सही मतलब समझाएं और उसे तरक्की के रास्ते पर ले जाएँ या फिर इस्लाम शांतिपूर्वक दुनिया से विदा हो जाए क्योंकि आखिर में जो बात मायने रखती है वो ये है कि इंसानियत बचनी चाहिए. मैं जानता हूँ कि मेरी बात व्यावहारिक नहीं है लेकिन फिर भी वो एक रास्ता तो है और एक बार बात सामने आ जाए तो पता नहीं कब वो जोर पकड़ ले. सारे फसाद की जड़ ये है कि धर्म को ज़रुरत से ज्यादा संजीदा बना दिया गया है. आखिर धर्म क्या है? वो जीने का एक तरीका है, या यूँ कहें कि शांतिपूर्वक जीने का तरीका है, अगर उसका ये बुनियादी उद्देश्य ही पूरा नहीं हो रहा है तो फिर वो क्यों है? एक बच्चा जब पैदा होता है तो वो किसी धर्म को साथ लेकर नहीं आता. सदियों पहले की दुनिया आज की तरह नहीं थी. तब लोग इस तरह जुड़े हुए नहीं थे. सबने अपनी-अपनी जगहों और परिस्थितियों के अनुसार अपने धर्म बनाए. आज पूरी दुनिया बहुत पास-पास आ गई है. ऐसे में बहुत सारे मतभेदों के साथ नहीं रहा जा सकता. जीने के नए रास्ते अपने आप सामने आते रहेंगे और ये इंसान को ही तय करना है कि कौन सा रास्ता इंसानियत के हक में है जिसे मंज़ूर किया जाए और किसे नकार दिया जाए. एक खूबसूरत सा ख़याल ये भी है कि सभी धर्मों की अच्छाइयों को लेकर एक विश्व-धर्म बने जिसे पूरी दुनिया के लोग माने तो दुनिया कितनी सुखी और सुन्दर हो.आखिर हर इंसान अदृश्य तारों से आपस में जुड़ा है, एक ही उर्जा ने सबको बाँध रखा है फिर अगर मनुष्यता का एक हिस्सा दूसरे को आहत करता है तो वो खुद भी चैन से कभी नहीं रह सकता.


हिन्द युग्म ''बैठक'' द्वारा साभार प्रकाशित

Comments

  1. समस्या की जड तक पहुंचने का प्रयास,
    सुन्दर विवेचन है।

    ReplyDelete
  2. जब तक की विस्तृत जानकारी न हो तो ऐसे मौजू पर न ही लिखे तो बेहतर है.
    Er. मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

    Assistant Professor
    E.C. Department
    N.C.E.T., kanpur
    naiqalam.blogspot.com

    +91-9044510836

    ReplyDelete
  3. जी अगर इस लेख में कुछ गलत है तो आपका फ़र्ज़ बनता है की आप उस सच्चाई को हम सबके सामने उजागर करें.ताकि इस्लाम कौम के प्रति सकारात्मक नजरिया बन सके.
    महज किसी पर ऊँगली उठाने से कुछ नहीं होगा.

    ReplyDelete
  4. मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी" जी अगर इस लेख में कुछ गलत है तो आपका फ़र्ज़ बनता है की आप उस सच्चाई को हम सबके सामने उजागर करें.ताकि इस्लाम कौम के प्रति सकारात्मक नजरिया बन सके.
    महज किसी पर ऊँगली उठाने से कुछ नहीं होगा.

    ReplyDelete
  5. एक अच्छा और विचारणीय आलेख है। इस्लाम ही नहीं सभी धर्मों का वक्त हो चुका है।

    ReplyDelete
  6. TASWIREN JO DUNIYAN DEKHTI HAI, VEDIO JO AAP DEKHTE HAI WAH PITUARISED KIYA JATA HAI, SANJAY BHAI

    ReplyDelete
  7. ठीक है बेनाम जी,ऐसा हो भी सकता है
    तो इसका शिकार सिर्फ इस्लाम क्यों बनता है??
    आपको कुछ करना होगा ताकि ऐसा न हो सके...

    ReplyDelete
  8. aap sb jaante hen islaam ho chaahe krischiyn chaahe hindu hon sbhi dhrmon kaa ant ho chukaa he dem to adhrm men bdl gyaa he aaj desh videsh or vishv bhr men qyaamt ki si sthiti he aap or men milkr aek dusr ke dhrmo pr jo kichd uchchaal rhe he voh isi baat kaa sbut he ke hm ab insaan nhin jaanvr ho gye hen hmen dhrm ne pehle jaanvr se insaan bnaaya thaa jine kaa silqaaa sikhaayaa thaa lekin ab hm adhrmi hokr fir se raakshsi dor men hen or aek dusr ke dhrm jaan maal ke dushmn bn gye hen kbhi raat ko sone lgo to sohna aap ne dhrm ki di gyi shikshaa men se kitni paalnaa ki he jb jvaab ziro men aaye to plz aatm htyaa mt rnaa kyonki meraa jvaab bhi ziro men hi aaya he or men adhrmi is smaaj me aapki trh hi nktaa bn kr araajktaa felaane kaa kaam kr rhaa hun krpyaa meri baat ko anythaa naa le sb apne apne girebaan men jhaank len inshaa allah raamji ki qsm vaahe guru ke aashirvaad se desh sudhr jaayegaa doston nfrt mt felaao pyaar do pyaar lo . akhtar khan akela kota rajsthan

    ReplyDelete
  9. बिलकुल सही कहा अख्तर खान अकेला जी....
    हम तो सदियों से यही सन्देश देने के लिए पकिस्तान,अफगानिस्तान की चक्कर काट रहे है की भाई प्रेम से रहो खून मत बहाओ...लेकिन वो है की मानते ही नहीं ....अब आप कहेंगे की वो पाकिस्तानी है और इस्लामी हिन्दुस्तान में भी है तो मैं जानता हूँ की हिन्दुस्तान के मुस्लिम ऐसे नहीं है बिलकुल नहीं,मुस्लिम मेरे भी गहरे दोस्त है,लेकिन अगर में दुसरे बर्ग की बात करू तो हिन्दुस्तान में आज भी ऐसे मुस्लिम है जिन्हें पाकिस्तानी आतंकवादी के पकडे जाने का दुःख होता है,पकिस्तान के मैच हार जाने का दुःख होता है तो यह सब क्या है ऐसे लोग कभी हिन्दुस्तान का कर्ज चूका पायेंगे..कभी नहीं !!

    लेकिन दूसरा सच यह भी है की कई मुस्लिम क्रांतिकारियों ने देश की स्वतंत्रता से लेकर विकास तक में अपना योगदान दिया है..उनको मेरा शत शत नमन है...लेकिन माफ़ कीजिये मैं सम्पूर्ण इस्लामियों की पूजा नहीं कर सकता !

    ReplyDelete
  10. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  11. भूतकाल की राजनीति का नवीन संस्करण हैं:धर्म । पश्चिम में धर्म को राजनीति से कब का बेदखल किया जा चुका है। पूरब में धर्म को राजनीति के शिखर पर पहुंचने की सीढ़ी बनाना अभी जारी है। सत्ताधीशों और धर्माधीशों में सांठ-गांठ आदिकाल से रही है। दो पाटों के बीच में पिसता कौन है-आम जनता। डॉ० अम्बेडर का कथन है कि सत्ता वह ’मास्टर की’ जिससे सभी समस्याओं समाधान मिल जाता है। धर्माधीश यह बात अच्छी तरह जानते हैं। इसलिए धर्म के द्वारा सत्ता की चाभी वे अपनी मुट्ठी में रखना चाहते हैं।
    आम जनता की भलाई के लिए अब राजनीति को जनमुखी बनाने की आवश्यकता है। यह बात इस्लाम के लिए जितनी प्रासांगिक है उतनी अन्य धर्मों के लिए भी है।

    ReplyDelete
  12. जय भीम अब हमारा समय है

    ReplyDelete
  13. सच ही तो है यह महज इतफाक नहीं हो सकता की हर आतंकवादी मुस्लिम हो...यह उनके खून में ही है......

    ReplyDelete
  14. देखिये मैं भी हिन्दुस्तान का दर्द की सदस्य हूँ और अपनी कौम के प्रति इस तरह की बात सुनना मुझे भी गवारा नहीं है ,पहले असलियत की तह तक जाएँ फिर बात करें.मैं एक सच्ची हिन्दुस्तानी हूँ.

    ReplyDelete
  15. देखिये मैं भी हिन्दुस्तान का दर्द की सदस्य हूँ और अपनी कौम के प्रति इस तरह की बात सुनना मुझे भी गवारा नहीं है ,पहले असलियत की तह तक जाएँ फिर बात करें.मैं एक सच्ची हिन्दुस्तानी हूँ.

    ReplyDelete
  16. सच साहिबा जी की भावनाओं का खेल रखा जाये,मुझे भी यह बात पसंद नहीं आई

    ReplyDelete
  17. संजय जी हिन्दुस्तान का दर्द हमेशा से ही एक पाक साफ़ बहस के लिए जाना जाता है तो जरा ख्याल रखें की इससे जुड़े लोगों को तकलीफ न हो..
    आगे आप खुद समझदार है ..

    ReplyDelete
  18. हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में है भाई भाई
    वन्देमातरम...
    जय हिन्दुस्तान-जय यंगिस्तान

    ReplyDelete
  19. हिन्दुस्तान हर एक बर्ग से मिलकर बना है और हमारा फ़र्ज़ बनता है की हम उसका सम्मान करें.न की अपमान

    ReplyDelete
  20. अरे अरे साहिबा जी..
    ऐसा नहीं हम इस्लाम का सम्मान करते है आपका सम्मान करते है,बस हमें बुराई है तो हिन्दुस्तान की दुश्मनों से...
    आप तो हमारी सुभचिन्तक है आगे भी अपना सगयोग बनाये रखें...

    खुदा हाफिज़

    ReplyDelete
  21. आपका बिश्लेषण बिलकुल सही है
    जो प्रकृति क़े अनुसार नहीं चलता वह समाप्त हो जाता है
    इस्लाम और बिज्ञान क़ा कोई मेल नहीं है ये समाज में प्रदुषण क़े समान है
    इनका कार्य केवल हिंसा,हत्या है
    इस पोस्ट क़े लिए धन्यवाद.

    ReplyDelete
  22. आधे अधूरे ज्ञान के आधार पर कही गयी बात मज़ाक़ बन कर रह जाती है कोशिश यह कीजिये कि तथ्यों के आधार पर बात कहें तथा आपकी बात में नफ़रत की गंध न आये. सदैव से ही सत्य के ख़िलाफ़ असत्य एकजुट होता आया है. इसकी जिंदा मिसाल दुनिया के वर्तमान हालात हैं. ३ के नाम से जाने जाने वाले अमेरिका के आतंकवादी संगठन के सक्रिय सदस्य रहे हेरी ट्रूमैन को द्वितीय महायुद्ध में अमेरिकी जनता ने अपना प्रेसिडेंट चुनकर अपनी मानसिकता का जो परिचय दिया वो आजतक कायम है और हेरी ट्रूमैन ने अमेरिकी जनता के विश्वास को कायम रखते हुए जापान के दो नगरों पर एटम बम डालकर अमेरिका, वहां की सरकार और वहां की जनता का युद्धोन्मादी, आतंकवादी, अत्याचारी तथा मानवता के नाम पर कलंक होना साबित कर दिया और ये परंपरा आज तक कायम है अर्थात तब से लेकर आज तक अमेरिका लगातार कहीं न कहीं जंग छेड़े हुए है चाहे कोई भी प्रेसिडेंट आया हो जंग, ज़ुल्म और नाइंसाफ़ी के रास्ते से नहीं हटा है. वहां के मौजूदा प्रेसिडेंट ओबामा ने आदेश जरी किया है की अब तक जो ६० देशों में अमेरिकी फ़ौज थी वह १५ और देशों में भेजकर ७५ देशों में पहुंचा दी जाएगी. अमेरिका जैसे आतंकवादी देश को यह हक किसने और क्यों दिया, क्या बता सकेंगे? अमेरिका और तथाकथित आतंकवाद के खिलाफ़ एकजुट होने वाले अमेरिका के समर्थक देश क्या सत्य के खिलाफ़ असत्य का एकजुट होना साबित नहीं कर रहे हैं? मुस्लिम देशों में जहाँ भी शरियत लागू करने की कोशिश होती है उसी के खिलाफ़ गुंडों के गिरोह में सम्मिलित सारे देश एकजुट होकर कार्रवाई करने पर आमादा हो जाते हैं क्योंकि वह दुनिया में सऊदी अरब (जहाँ शरियत के कानून की झलक है) के जैसे माहौल की कल्पना करके परेशान हो जाते हैं. क्योंकि वह समझते हैं की यदि ऐसा हुआ तो उनके अन्दर की राक्षसी प्रवृत्तियों का दमन हो जायेगा और ...........

    ReplyDelete
  23. आधे अधूरे ज्ञान के आधार पर कही गयी बात मज़ाक़ बन कर रह जाती है कोशिश यह कीजिये कि तथ्यों के आधार पर बात कहें तथा आपकी बात में नफ़रत की गंध न आये. सदैव से ही सत्य के ख़िलाफ़ असत्य एकजुट होता आया है. इसकी जिंदा मिसाल दुनिया के वर्तमान हालात हैं. ३ के नाम से जाने जाने वाले अमेरिका के आतंकवादी संगठन के सक्रिय सदस्य रहे हेरी ट्रूमैन को द्वितीय महायुद्ध में अमेरिकी जनता ने अपना प्रेसिडेंट चुनकर अपनी मानसिकता का जो परिचय दिया वो आजतक कायम है और हेरी ट्रूमैन ने अमेरिकी जनता के विश्वास को कायम रखते हुए जापान के दो नगरों पर एटम बम डालकर अमेरिका, वहां की सरकार और वहां की जनता का युद्धोन्मादी, आतंकवादी, अत्याचारी तथा मानवता के नाम पर कलंक होना साबित कर दिया और ये परंपरा आज तक कायम है अर्थात तब से लेकर आज तक अमेरिका लगातार कहीं न कहीं जंग छेड़े हुए है चाहे कोई भी प्रेसिडेंट आया हो जंग, ज़ुल्म और नाइंसाफ़ी के रास्ते से नहीं हटा है. वहां के मौजूदा प्रेसिडेंट ओबामा ने आदेश जरी किया है की अब तक जो ६० देशों में अमेरिकी फ़ौज थी वह १५ और देशों में भेजकर ७५ देशों में पहुंचा दी जाएगी. अमेरिका जैसे आतंकवादी देश को यह हक किसने और क्यों दिया, क्या बता सकेंगे? अमेरिका और तथाकथित आतंकवाद के खिलाफ़ एकजुट होने वाले अमेरिका के समर्थक देश क्या सत्य के खिलाफ़ असत्य का एकजुट होना साबित नहीं कर रहे हैं? मुस्लिम देशों में जहाँ भी शरियत लागू करने की कोशिश होती है उसी के खिलाफ़ गुंडों के गिरोह में सम्मिलित सारे देश एकजुट होकर कार्रवाई करने पर आमादा हो जाते हैं क्योंकि वह दुनिया में सऊदी अरब (जहाँ शरियत के कानून की झलक है) के जैसे माहौल की कल्पना करके परेशान हो जाते हैं. क्योंकि वह समझते हैं की यदि ऐसा हुआ तो उनके अन्दर की राक्षसी प्रवृत्तियों का दमन हो जायेगा और ...........

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

खुशवंत सिंह की अतृप्त यौन फड़फड़ाहट

अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा

Special Offers Newsletter

The Simple Golf Swing Get Your Hands On The "Simple Golf Swing" Training That Has Helped Thousands Of Golfers Improve Their Game–FREE! Get access to the Setup Chapter from the Golf Instruction System that has helped thousands of golfers drop strokes off their handicap. Read More .... Free Numerology Mini-Reading See Why The Shocking Truth In Your Numerology Chart Cannot Tell A Lie Read More .... Free 'Stop Divorce' Course Here you'll learn what to do if the love is gone, the 25 relationship killers and how to avoid letting them poison your relationship, and the double 'D's - discover what these are and how they can eat away at your marriage Read More .... How to get pregnant naturally I Thought I Was Infertile But Contrary To My Doctor's Prediction, I Got Pregnant Twice and Naturally Gave Birth To My Beautiful Healthy Children At Age 43, After Years of "Trying". You Can Too! Here's How Read More .... Professionally