मै हंसता हूँ अपने पन पर अब॥
जब बचपन में नग्न नहाता था॥
चाची ताई मम्मी अम्मी को॥
हर पल उन्हें खिझाता था॥
हाथ पैर को पटक पटक के॥
धर में उधम मचाता था॥
मुझको चाहिए सेब सनतरे॥
पापा को फरमान सुनाता था॥
मटका फोडू पानी बाला॥
चूल्हे पर धाक जमाता था॥
अगर कोई हिस्से का खाता॥
मुह फाड़ चिल्लाता था॥
कुर्ता फाडू मखमल वाला॥
जिद्दी शिशु कहाता था॥
मेवा मिष्ठान की फरमाइश करता॥
चन्दन तिकल्क लगाता था॥
अपने प्यारे बाबा के संग॥
सुबह मंदिर को जाता था॥
बचपन छूटा झंझट आयी॥
देख समय ललचाता हूँ॥
मै हंसता हूँ अपने पन पर अब॥
जब बचपन में नग्न नहाता था॥
चाची ताई मम्मी अम्मी को॥
हर पल उन्हें खिझाता था॥
जब बचपन में नग्न नहाता था॥
चाची ताई मम्मी अम्मी को॥
हर पल उन्हें खिझाता था॥
हाथ पैर को पटक पटक के॥
धर में उधम मचाता था॥
मुझको चाहिए सेब सनतरे॥
पापा को फरमान सुनाता था॥
मटका फोडू पानी बाला॥
चूल्हे पर धाक जमाता था॥
अगर कोई हिस्से का खाता॥
मुह फाड़ चिल्लाता था॥
कुर्ता फाडू मखमल वाला॥
जिद्दी शिशु कहाता था॥
मेवा मिष्ठान की फरमाइश करता॥
चन्दन तिकल्क लगाता था॥
अपने प्यारे बाबा के संग॥
सुबह मंदिर को जाता था॥
बचपन छूटा झंझट आयी॥
देख समय ललचाता हूँ॥
मै हंसता हूँ अपने पन पर अब॥
जब बचपन में नग्न नहाता था॥
चाची ताई मम्मी अम्मी को॥
हर पल उन्हें खिझाता था॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर