भोपाल गैस त्रासदी में मारे गए 25000 हज़ार लोगों और उनके इन्साफ के लिए तड़पती लाखों नज़रों को जिस तरह से इन्साफ के तराजू में तोलकर ठगा गया वो हम सब के लिए हैरत के साथ साथ कानून पर शक करने की बजह छोड़ने वाली बात है.
हत्या,बलात्कार आतंक की सजा जब फांसी हो सकती है तो 25000 लोगों के शरीर ही नहीं बल्कि उनकी आत्माओं के साथ किये गए बलात्कार की सजा 2 साल कैसे हो सकती है?,
यह एक ऐसा अपराध था जिसने उनकी आने वाली नस्लों को भी अपंगता की भट्टी में तपने के लिए छोड़ दिया है,इस तरह के इन्साफ से उन लोगों के जी को जरा सी भी ठंडक नहीं पहुच सकती,यह संबिधान एवं कानून से विश्वास उठाने के लिए काफी है .
हिंदुस्तान का दर्द इस इन्साफ के नाम पर किये गए धोखे का विरोध करता है और गैस त्रासदी में शहीद नागरिकों को नमन करता है.
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--- संजय सेन सागर