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इन्साफ के नाम पर किया गया धोखा

भोपाल गैस त्रासदी में मारे गए 25000 हज़ार लोगों और उनके इन्साफ के लिए तड़पती लाखों नज़रों को जिस तरह से  इन्साफ के तराजू में तोलकर ठगा गया वो हम सब के लिए हैरत के साथ साथ कानून पर शक करने की बजह छोड़ने वाली बात है.

हत्या,बलात्कार आतंक की सजा जब फांसी हो सकती है तो 25000 लोगों के शरीर ही नहीं बल्कि उनकी आत्माओं के साथ किये गए बलात्कार की सजा 2 साल कैसे हो सकती है?,

यह एक  ऐसा अपराध था जिसने उनकी आने वाली नस्लों को भी अपंगता की भट्टी में तपने के लिए छोड़ दिया है,इस तरह के इन्साफ से उन लोगों के जी को जरा सी भी ठंडक नहीं पहुच सकती,यह संबिधान एवं कानून से विश्वास उठाने के लिए काफी है .

हिंदुस्तान का दर्द इस इन्साफ के नाम पर किये गए धोखे  का विरोध करता है और गैस त्रासदी में शहीद नागरिकों को नमन करता है.  

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...