हम दिल में बसा के रखे बैठे थे॥
तुम दिल को हमारे तोड़ गए॥
मुझे अकेले छोड़ गए॥
जीवन की लय को मोड़ गए॥
अफसोशहमें है अपने पर॥
किस कारण प्रीतम रूठ गए॥
फूले के थाली में जेवना लगायव॥
मन की उमंगें से पंखी दोलायव॥
क्या स्वाद नहीं था भोजन में॥
जो परसी थाली को छोड़ गए॥
हम दिल में बसा के रखे बैठे थे॥
तुम दिल को हमारे तोड़ गए॥
मुझे अकेले छोड़ गए॥
जीवन की लय को मोड़ गए॥
तुम दिल को हमारे तोड़ गए॥
मुझे अकेले छोड़ गए॥
जीवन की लय को मोड़ गए॥
लाची लवांगी के बीरा लगायव॥
केवडा जल खुश्बो को मिलायव॥
क्या कडुवा लगा था पान॥
जो मुह से उसको थूक चले॥
हम दिल में बसा के रखे बैठे थे॥
तुम दिल को हमारे तोड़ गए॥
मुझे अकेले छोड़ गए॥
जीवन की लय को मोड़ गए॥
तुम दिल को हमारे तोड़ गए॥
मुझे अकेले छोड़ गए॥
जीवन की लय को मोड़ गए॥
चुन-चुन फुलवा से सेजिया सजायव॥
चारो तरफ से पर्दा लगायव॥
क्या खतमत आया बिस्तर पे॥
जो नीचे सोने पर मजबूर हुए॥
हम दिल में बसा के रखे बैठे थे॥
तुम दिल को हमारे तोड़ गए॥
मुझे अकेले छोड़ गए॥
जीवन की लय को मोड़ गए॥
तुम दिल को हमारे तोड़ गए॥
मुझे अकेले छोड़ गए॥
जीवन की लय को मोड़ गए॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर