Skip to main content

पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥


पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥

ऊ चटनी मोरी सासू को देना॥

चाखत चटनिया भरय हर्जाना..पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥

ऊ चटनी मोरी ननदी को देना॥

चाखत चटनिया लगावे निशाना॥

पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥

ऊ चटनी मोरी ससुर जी देना॥

चाखत चटनिया लुटे खजाना॥

पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥

ऊ चटनी मोरे जयेष्ट जी देना॥

चाखत चटनिया खोले पायजामा॥

पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥

ऊ चटनी मोरे सिया जी को देना॥

चाखत चटनिया कराय हंगामा॥

पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥

Comments

  1. bahut khub...
    achha kavya bana gaya hai...

    ReplyDelete
  2. aur haan mere blog par...
    तुम आओ तो चिराग रौशन हों.......
    regards
    http://i555.blogspot.com/
    puraani rachnaayein bhi jaroor padhein...

    ReplyDelete
  3. किसी देश की सांस्कृतिक विरासत को परखना हो तो वहाँ के लोक गीतों में झाँको। लोक गीतों में देश की आत्मा बसती है। आपके द्वारा प्रस्तुत लोक गीत को पढकर सुखद अनुभूति हुई। बधाई।
    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

    ReplyDelete
  4. aap sabhee logo ko jo hamare hamura hai unako sadar namaskaar aur jo hamare pita tuly ya dada tulya hai un logo ko sadar charan sparsh...

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा