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लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,


आज दिनांक 19.05.2010 को परिकल्पना ब्लोगोत्सव-2010 के अंतर्गत सोलहवें दिन प्रकाशित पोस्ट का लिंक-

मित्रों मै ललित शर्मा, आज उपस्थित हूँ परिकल्पना पर...

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_18.html

संजीव तिवारी का आलेख :लोकगीतों में छत्तीसगढ़ की पारंपरिक नारी

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_18.html

रश्मि प्रभा जी बता रही हैं कि ध्यान क्या है ?

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_2832.html

सोनल रस्तोगी की कविता : बिना जुर्म सज़ा पाई है

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_7632.html

एक अरसे के बाद मैने कोई प्ले देखा..इस आभासी दुनिया से बाहर निकल कर :ललित शर्मा http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_4750.html

सर्बत एम. जमाल की पांच गज़लें

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_19.html

आरोप है कि उसने अपनी पत्नी का गला दबा कर हत्या की है।

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_6716.html

रश्मि रविजा की एक कविता और एक ग़ज़ल

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_2035.html

अगर आपको आगे बढ़ना है तो डिमांड पर काम करना भी आना चाहिए.

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_5628.html

मुकेश कुमार सिन्हा की एक कविता : कैनवेस

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_7945.html

कलाकार को स्वतंत्रता नही होती कि किसी के आराध्य देव की पेंटिंग्स में न्युड बनाया जाए :डॉ.डी.डी.सोनी http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_1781.html

प्रिया चित्रांशी की कविताएँ

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_1773.html

चित्रकार को भी कई मुकाम से गुजरना पड़ता है : डा. डी. डी. सोनी

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_19.html

राकेश खंडेलवाल के दो गीत

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_6556.html

utsav.parikalpnaa.com

अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।

-सुमन
loksangharsha.blogspot.com

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा