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लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,


आज ब्लोगोत्सव के नौवें दिन अर्थात दिनांक १० .०५.२०१० के संपन्न कार्यक्रम का लिंक-

जिन्हें नाज है हिंद पर, उनके नाम

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_09.html

अपनी चिंतनशील वैचारिक अभिव्यक्ति की तीव्रता के लिए ब्लॉगिंग को माध्यम बनाएं :प्रेम जनमेजय

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_10.html

मुंह में गाँधी और बगल में देश की बर्बादी

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_7817.html

रूपसिंह चन्देल का आलेखआजादी की तीसरी लड़ाई’.

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_8665.html

क्या मैंने ऐसे देश की तो कल्पना नहीं की थी ?

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_10.html

Adding Documents in Blogger Post (ब्लॉगर पोस्ट में डॉक्यूमेंट(doc, ppt, pdf, etc.) जोड़ना सीखें)

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/adding-documents-in-blogger-post-doc.html

जो सत्ता में है वह मुस्कुरा रहा है, जो नहीं है वह गुर्रा रहा है

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_1421.html

रश्मि रबीजा की कहानी : होठों से आँखों तक का सफ़र

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_5327.html

अब फिर समय गया है एक नयी क्रांति के आगाज का

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3713.html

वन्दना गुप्ता की तीन कविताएँ

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_6636.html

मेरी मान्यताओं को विभक्त करने से पहले अपने पर गौर करो

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_1223.html

विवेक रस्तोगी की कविता : मेरी तस्वीर जो केवल मेरे मन के आईने में नजर आती है

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3983.html

बाल विज्ञान कथा और चिट्ठाकारों की विशेष परिचर्चा

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3178.html

विशेष प्रस्तुति : कोई लौटा दे वो बचपन

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_09.html

इस कविता का एक-एक शब्द अनमोल है...!

http://shabd.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_10.html


utsav.parikalpnaa.com

अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।

-सुमन
loksangharsha.blogspot.com

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा