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लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,


आज ब्लोगोत्सव के नौवें दिन अर्थात दिनांक 07 .05.2010 के संपन्न कार्यक्रम का लिंक-

ब्लोगोत्सव-२०१० : एक संभावना हो तुम !

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_2018.html

वर्चुअल टेक्नोलोज़ी में जबरदस्त सामर्थ्य है : गौहर रजा

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3168.html

आज ब्लोगजगत को उत्सव परंपरा निभाने की बहुत जरूरत है : अजय कुमार झा

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_4761.html

शमा का संस्मरण : शहीद तेरे नाम से...

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_6146.html

यह उत्सव समय का सशक्त इतिहास बनेगा : रश्मि प्रभा

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_07.html

रश्मि प्रभा की कविता : हमसफ़र

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_7799.html

यह ब्लाग जगत के इतिहास में अवश्य ही मील का पत्थर साबित होगा : ललित शर्मा

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_763.html

मीनू खरे की कविता : पूरी तरह बनाबटी

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_2576.html

हो...आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3565.html

राजेश उत्साही की कविता : दिन बचपन के

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3324.html

हिंदी ब्लॉग पर उत्सव की परिकल्पना, सुनकर सुखद आश्चर्य हुआ : अदम गोंडवी

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_4519.html

एम.वर्मा की कविता : इस वारदात में मेरा कोई हाथ नहीं है ~~

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_7113.html

जिसका आप बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं ..वह घड़ी गयी

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_7214.html

सुनिए मालविका लाईव में इक नया दिन चला, ढूँढने कुछ नया और कुछ चुनिन्दा हिंदी गाने

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_7066.html



utsav.parikalpnaa.com

अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।

-सुमन
loksangharsha.blogspot.com

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा