मैं जगराम सोनकर हूँ। मैं करौंदिया थाना कोतवाली नगर जिला सुल्तानपुर ( उत्तर प्रदेश) का निवासी था। कल मैं जब अपनी पत्नी और भाई के साथ अपना इलाज कराने के लिए सुल्तानपुर शहर जा रहा था कि उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही व उसके सहयोगियों ने मुझे पीटना शुरू कर दिया। मैं भागकर गोमती नदी में कूद गया। उन दोनों लोगो ने गोमती नदी से निकाल कर फिर मुझे इतना पीटा की मौके पर ही मेरी मौत हो गयी। पुलिस लाश लेकर भागने लगी कुछ सिरफिरे नवजवान मेरी मौत का विरोध करने लगे तो पुलिस पी.एस.सी ने उनको भी जमकर मारा-पीटा मरने के बाद क्या आप मुझे कोई न्याय दिला सकते हो। मुझे कौन से शहीद की श्रेणी में रख सकते हैं ? मुझे कैसे इन्साफ दोगे ? मेरे जैसे हजारो लोग प्रतिदिन पुलिस उत्पीडन का शिकार होते हैं, थानों की विभिन्न हवालातों में दम तोड़ देते हैं। हमारे जैसे लोगों के हिस्से में यदि आप के पास एक भी शब्द हो तो क्या लिख सकते हो ?
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
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फोटो- हिंदुस्तान से साभार
ऐसे इतने गुमनामी के अँधेरे में पुलिस का शिकार होते हैं. अभी अभी कानपुर में हुई जेल के अन्दर की गयी एक निर्दोष व्यक्ति कि हत्या , जिसमें दरोगा "पाण्डेय " हत्यारा था. उसके बाद कुछ भी हुआ हो, क्या उस औरत को रोटी खिलाने वाला मिलेगा? ये जनसेवक हैं - इसके लिए कौन सा कानून लागू होता है? और कुछ तो नहीं बस ईश्वर ऐसे लोगों कि आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके घर वालों को साहस कि इन चंद पुलिस कि वर्दी को गन्दा करने वालों को दंड तो दिलवा ही सकें.
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