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लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010 का शुभारम्भ

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,

अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 का शुभारम्भ आज बजे दिन में प्रारंभ हो गया है जिसके लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।

-सुमन
loksangharsha.blogspot.com


परिकल्पना ब्लोगोत्सव गीत


कला दीर्घा में आज : अक्षिता(पाखी) की अभिव्यक्ति


हिन्दी ब्लोगिंग में अपने अनुभवों से रूबरू करा रहे हैं श्री ज्ञान दत्त पाण्डेय


हिन्दी चिट्टाकारी की समृद्धि हेतु एक अच्छे चिट्टाचर्चा-मंच की जरूरत है : उन्मुक्त


पंकज सुबीर जी का कविता पाठ : दर्द बेचता हूं मैं


दुष्यंत के बाद हिंदी के बहुचर्चित गज़लकार श्री अदम गोंडवी का पत्र परिकल्पना ब्लॉग उत्सव के नाम


ग़ज़ल प्रस्तुति : फूल जैसे बचपने में खेली पली है जिन्दगी॥


utsav.parikalpnaa.com

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा