बिन बादल बरसात की !!
मेरी नजरो ने तुझ पर
कुछ शबनमो की बरसात की ,,,
तेरी तमनाओ ने मचल कर
बिन बादल बरसात की !!
मेरी शबनमी पलकों ने
धीरे से तेरी पलकों पर दस्तक दी ,,,
तेरी चाहतो ने मचल कर
बिन बादल बरसात की !!
रात्रि के तीसरे पहर
बंद होती पलकों पर ,,,
तेरी यादो ने मचल कर
बिन बादल बरसात की !
मेरी नजरो ने तुझ पर
कुछ शबनमो की बरसात की ,,,
तेरी तमनाओ ने मचल कर
बिन बादल बरसात की !!
मेरी शबनमी पलकों ने
धीरे से तेरी पलकों पर दस्तक दी ,,,
तेरी चाहतो ने मचल कर
बिन बादल बरसात की !!
रात्रि के तीसरे पहर
बंद होती पलकों पर ,,,
तेरी यादो ने मचल कर
बिन बादल बरसात की !
सचमुच लाजवाव.
ReplyDeletebahut acha...........bin baadal barsaat
ReplyDeleteha, isse ek bada faayda ho sakta hai....akaal ki samasya mit jayegi!!!!
sath me nazro ki barish me bheegne ka maza hi kuch aur hai........badhaai
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
ReplyDelete