मैं इस बात को स्पष्ट करने की कोशिश की है कि किस प्रकार चुनाव आयोग का मतदाता सूचि व फोटो पहचान पत्र के कार्य में गड़बड़ी होती है और सरकार द्वारा पानी के तरह पैसे खर्च किये जाने के बावजूद भी सही ढंग से कार्य नहीं होता है और गलती में सुधार नहीं होती है। आज मैं सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए कराये गए सर्वेक्षण व इसके लिए बनाये जा रहे BPL परिवार के स्मार्ट कार्ड के कार्य को बताने जा रहा हूँ।
बिहार में BPL परिवार के लिए जो सर्वेक्षण किया गया है यदि उस सर्वेक्षण के नतीजे को सही मानें तो आप पायेंगे कि :
दो-तीन माह के बच्चा या एक-दो वर्ष के बच्चा भी मजदूरी करता है।
किसी के पत्नी के लिंग पुरुष भी है तो किसी के पति के लिंग स्त्री भी है। उसी तरह किसी के पुत्र का लिंग स्त्री व पुत्री का लिंग पुरुष भी है।
यह भी मिलेगा कि किसी के एक से अधिक पिता हैं।
पिता का उम्र कम व पुत्र का उम्र अधिक भी मिलेगा।
किसी व्यक्ति के नाम कई परिवार के सूचि में दर्ज है।
यह सब बात मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि यह बिहार में हुए सर्वेक्षण का नतीजा है और इसी के आधार पर BPL परिवार का रिकॉर्ड तैयार किया गया है व BPL कार्ड (स्मार्ट कार्ड) जारी किया गया है। ऐसे एक-दो उदहारण नहीं हैं बल्कि कई व कई परिवार के साथ मिलेंगे। इतना ही नहीं BPL परिवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) का जो समार्ट कार्ड वितरित किया गया है उसमें आपको कई कार्ड ऐसे मिलेंगे कि उसमें हिंदी में नाम कुछ और है तथा इंग्लिश में नाम कुछ और है।
मेरा नाम तो BPL परिवार में नहीं है और न ही मुझे RSBY का स्मार्ट कार्ड ही मिला है पर फिर भी मुझे यह बात इसीलिए मालूम है क्योंकि पारिवारिक सर्वेक्षण के रिपोर्ट को कंप्यूटर में एंट्री करने व RSBY का स्मार्ट कार्ड बनाने का कार्य मैं भी किया हूँ। सरकार को अपने कार्य में इन सब खामियों पर ध्यान देना चाहिए तथा सर्वेक्षण के कार्य में वैसे ही व्यक्ति को भेजना चाहिए जो जानकार हो। अन्यथा यही होगा कि पुत्र का लिंग स्त्री व पुत्री का लिंग पुरुष ही दर्ज होगा। अब आप सोचें कि इस रिकॉर्ड के आधार पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्यक्रम में डॉक्टर उसका क्या ईलाज करेगा? क्या डॉक्टर लिंग परिवर्तित देखकर उसे गलत व्यक्ति घोषित कर ईलाज करने से इंकार कर देगा? .............
आपको ऐसे कितने परिवार मिलेंगे जिनको वास्तव में BPL के लिस्ट में नहीं आना चाहिए पर उनका नाम BPL के लिस्ट में है और वे उसका लाभ ले रहे हैं। ..............
जो भी हो पर इस तरह से कार्य होगी तो ये सब गलती में सुधार कभी नहीं होगी क्योंकि सरकार का सभी कार्य ठेका पर ही रहता है। सर्वेक्षण का कार्य भी किसी अन्य कंपनी को दिया जाता है और फिर वह जैसे-तैसे कार्य को सम्पन्न कर सिर्फ अपना ही पैसा बनाते हैं।
--महेश कुमार वर्मा
आगे पढ़ें के आगे यहाँ
बिहार में BPL परिवार के लिए जो सर्वेक्षण किया गया है यदि उस सर्वेक्षण के नतीजे को सही मानें तो आप पायेंगे कि :
दो-तीन माह के बच्चा या एक-दो वर्ष के बच्चा भी मजदूरी करता है।
किसी के पत्नी के लिंग पुरुष भी है तो किसी के पति के लिंग स्त्री भी है। उसी तरह किसी के पुत्र का लिंग स्त्री व पुत्री का लिंग पुरुष भी है।
यह भी मिलेगा कि किसी के एक से अधिक पिता हैं।
पिता का उम्र कम व पुत्र का उम्र अधिक भी मिलेगा।
किसी व्यक्ति के नाम कई परिवार के सूचि में दर्ज है।
यह सब बात मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि यह बिहार में हुए सर्वेक्षण का नतीजा है और इसी के आधार पर BPL परिवार का रिकॉर्ड तैयार किया गया है व BPL कार्ड (स्मार्ट कार्ड) जारी किया गया है। ऐसे एक-दो उदहारण नहीं हैं बल्कि कई व कई परिवार के साथ मिलेंगे। इतना ही नहीं BPL परिवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) का जो समार्ट कार्ड वितरित किया गया है उसमें आपको कई कार्ड ऐसे मिलेंगे कि उसमें हिंदी में नाम कुछ और है तथा इंग्लिश में नाम कुछ और है।
मेरा नाम तो BPL परिवार में नहीं है और न ही मुझे RSBY का स्मार्ट कार्ड ही मिला है पर फिर भी मुझे यह बात इसीलिए मालूम है क्योंकि पारिवारिक सर्वेक्षण के रिपोर्ट को कंप्यूटर में एंट्री करने व RSBY का स्मार्ट कार्ड बनाने का कार्य मैं भी किया हूँ। सरकार को अपने कार्य में इन सब खामियों पर ध्यान देना चाहिए तथा सर्वेक्षण के कार्य में वैसे ही व्यक्ति को भेजना चाहिए जो जानकार हो। अन्यथा यही होगा कि पुत्र का लिंग स्त्री व पुत्री का लिंग पुरुष ही दर्ज होगा। अब आप सोचें कि इस रिकॉर्ड के आधार पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्यक्रम में डॉक्टर उसका क्या ईलाज करेगा? क्या डॉक्टर लिंग परिवर्तित देखकर उसे गलत व्यक्ति घोषित कर ईलाज करने से इंकार कर देगा? .............
आपको ऐसे कितने परिवार मिलेंगे जिनको वास्तव में BPL के लिस्ट में नहीं आना चाहिए पर उनका नाम BPL के लिस्ट में है और वे उसका लाभ ले रहे हैं। ..............
जो भी हो पर इस तरह से कार्य होगी तो ये सब गलती में सुधार कभी नहीं होगी क्योंकि सरकार का सभी कार्य ठेका पर ही रहता है। सर्वेक्षण का कार्य भी किसी अन्य कंपनी को दिया जाता है और फिर वह जैसे-तैसे कार्य को सम्पन्न कर सिर्फ अपना ही पैसा बनाते हैं।
--महेश कुमार वर्मा
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर