Skip to main content

लो क सं घ र्ष !: खबरदार! बाजार उदार हो गया है।

सर्वत्र उदारीकरण-उदारीकरण की चिलपों मची हुई है। हर कोई उदारीकरण का राग अलाप रहा है। ऐसे में बाजार भी किसी से पीछे नहीं है। बाजार भी कह रहा है कि वो उदार है। आज अगर कोई नंगा दिखता है तो समझिये वो फैशन परस्त है। आज कोई भूखा है तो समझिये वो डाइटिंग कर रहा है। आज कोई परेशान है तो समझिये परेशान होना उसकी फितरत है। आज कोई घी नहीं पीता तो समझिये घी पीने से उसका पेट खराब हो जाता है। बाजार सारी आम-ओ-खास चीजे उदार हो कर दे रहा है। वह भी जीरो परसेंट इंट्रेस्ट पर। है न गजब की उदारता! बाजार बहुत उदार हो चला है। आज शिकायत वो नहीं रही जो पहले हुआ करती थी। ‘हमें तो कोई पूछता नहीं’ का दर्द अब नहीं रहा। आज परेशानी की वजह तो ‘अरे यार ये तो पीछे पड़ गये’ है। आप क्या सोच रहे है? यही न! क्या कभी बाजार भी उदार हो सकता है? क्या बाजारू शब्द का अर्थ बदल गया है,जो बाजार की विशेषताओं के कारण ही अस्तित्व में आया! वो बाजार जहाँ बड़े से बड़े पल भर में नंगे हो जाते है, क्या अब वो वैसा नहीं रहा! वो बाजार जो किसी को नंगा करने के बाद शर्मता भी नहीं, क्या उसका हृदय परिवर्तन हो गया है! फिलहाल बाजार तो यही कर रहा है कि वो उदार हो गया है।
बाजार खुद पूछ रहा - बच्चे तूझे दौड़ में फस्ट आना है कि नहीं! बिटिया तुझे मिस इंडिया बनना है कि नहीं! भाई साहब आप अपने गिरते बालों को रोकते क्यों नहीं! बहन जी आप को समझदार गृहणी बनती क्यों नहीं! आज बाजार आप को परेशान होता हुआ नहीं देख सकता। वो आप का हाल ले रहा। वो आपकी चाल देख रहा। वो बहुत उत्सुक दिखता है आपकी समस्याओं का समाधान करने के लिये। अब तो उसकी उत्सुकता अधीरता में बदल चुकी है। वो समाधान लिये-लिये इधर से उधर बेसब्र घूम रहा है। आपका दरवाजा खटकटा रहा है। डोर बेल बजा रहा है। एस.एम.एस. भेज रहा है। फोन कर रहा है। रेडियों पर बोल रहा है। टी.वी. से झांक रहा है। इंटरनेट में घुस कर बैठा है। आज बाजार ने घेर लिया है आपको चारों तरफ से। आप अकेले रहना चाहते है तो रह नहीं सकते। जहाँ जाओ वहाँ बाजार पहले से खड़ा है,अपनी बांहे पसारे आपके स्वागत के लिये। बाजार जा कर खरीदारी करें तो अच्छा, घर बैठ कर खरीदारी करें तो अच्छा। अपना मुहँ खोलकर अपनी जरूरतें बतायें तो ठीक, इशारे से बताये तो ठीक। बाजार जेब में नकद रख कर जाते हैं तो बेहतर, अगर क्रेडिट कार्ड रख कर जाते है तो बेहतर। जैसा बाजार आज है वैसा पहले कभी नहीं रहा।
बाजार सिर्फ आपके जरूरतों को ही नहीं पूरा करता, बल्कि आज उसने खुद को इतना आकर्षक बना लिया है, उसको देखकर ही जरूरत खुद-ब-खुद पैदा हो जाती है। बाजार प्रतिदिन किसी न किसी वस्तु की सेल चला रहा है। आये दिन कोई न कोई स्कीम दे रहा है। किसी आइटम पर अप्रत्याशित रूप से छुट दे रहा है। बाजार कहता है कि सारी दुनिया आपके घर में पहंुचा देगा, वो भी महज कुछ मिनटों में, आप बस एक आर्डर करें। घर में बैठे-बैठे पिज्जा खिला दें रहा है। आप से ‘एस्कुयूज मी’ कह कर आपकी वित्तीय जरूरतों को पूछ रहा है। दुनियाभर का सामान एक ही जगह डिपाटमेंटल स्टोर में दे रहा है। डाइनासोर के आकार के शापिंग माॅल दे रहा है। बिना ब्याज के गाड़ी दे रहा है। बाजार की उदारता यहीं नहीं खत्म होती। उसके उदारता की परिधि बहुत व्यापक है। बाजार उदारता के साथ आपके शुभचिंतक होने का रोल भी अदा कर रहा है। जल्द करें मौका छुट न जाये! बाजार आपको चेता रहा है। आपको दूरदृष्टि दे रहा है, यह कह कर कि स्टाक सीमित है। ये छुट बस कुछ दिनों तक, बता कर आपको समय का पाबंद बना रहा है। कंपनी का प्रचार है फायदा आपका, यह गूढ़ रहस्य भी बता रहा है।
बाजार मददगार बन गया है। आपको हेल्पलाइन दे रहा। बाजार आप का केयर भी करना जानता है। वो आपको कस्टमर केयर भी दे रहा है। बाजार की उदारता की परिधि बहुत व्यापक है, जैसा कि पहले भी कहा। मात्र एक रूपये में विश्व भ्रमण करवा दें रहा है। एक कोल्ड ड्रिंक पीने पर क्रिकेट का वल्र्ड कप दिखावा दे रहा है। अण्डर वियर खरीदने पर कार दे रहा है। पच्चीस पैसे की चीज पर करोड़ों इनाम दे रहा है। बस एक एस.एम.एस. करने पर बेशकिमती चीजे दे रहा है। स्कैच कार्ड स्कैच करवा कर किस्मत बदल रहा है।
बाजार, सुविधा, समाधान, सपने दे रहा है। बाजार किस्मत जिदंगी, हालात बदलने की बात कर रहा है। बाजार अब क्रूर नहीं रहा, वो उदार हो गया है। बाजार ने अपना व्यवहार बदल लिया है। बाजार ने अपना रूप बदल लिया है। बाजार ने अपना रंग बदल लिया है। अब आप पूछेंगे, और बाजार का चरित्र! तो सुनिये सर, बाजार कहता है कि वो अपना चरित्र भी बदलने को तैयार है, मगर उसके लिये कंडिशन अप्लाई है यानि कि शर्तें लागू...।

अनूप मणि त्रिपाठी
09956789394

लोकसंघर्ष पत्रिका के मार्च अंक में शीघ्र प्रकाशित

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

खुशवंत सिंह की अतृप्त यौन फड़फड़ाहट

अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा

Special Offers Newsletter

The Simple Golf Swing Get Your Hands On The "Simple Golf Swing" Training That Has Helped Thousands Of Golfers Improve Their Game–FREE! Get access to the Setup Chapter from the Golf Instruction System that has helped thousands of golfers drop strokes off their handicap. Read More .... Free Numerology Mini-Reading See Why The Shocking Truth In Your Numerology Chart Cannot Tell A Lie Read More .... Free 'Stop Divorce' Course Here you'll learn what to do if the love is gone, the 25 relationship killers and how to avoid letting them poison your relationship, and the double 'D's - discover what these are and how they can eat away at your marriage Read More .... How to get pregnant naturally I Thought I Was Infertile But Contrary To My Doctor's Prediction, I Got Pregnant Twice and Naturally Gave Birth To My Beautiful Healthy Children At Age 43, After Years of "Trying". You Can Too! Here's How Read More .... Professionally