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लो क सं घ र्ष !: हो सकता है नक्सलवाद का आन्दोलन सही हो - उच्चतम नयायालय

'हो सकता यह आन्दोलन सही मकसद के लिए किया जा रहा होशायद यही वजह है कि इसे लोगों का भी समर्थन मिल रहा हैयदि ऐसा है तो इसमें समस्या क्या है।'
- माननीय उच्चतम न्यायालय

माननीय उच्चतम न्यायालय ने नक्सल आन्दोलन पर यह टिपण्णी करते हुए कहा कि इस पर सरकारों का रूख ठीक नहीं हैमाननीय उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के गोपाढ गाँव में 10 आदिवासियों की हत्या सुरक्षा बालों द्वारा करने की जनहित याचिका की सुनवाई कर रहे माननीय न्यायमूर्ति बी.सुदर्शन रेड्डी तथा माननीय न्यायमूर्ति सुरेन्द्र सिंह निज्जर की खंडपीठ ने व्यक्त किये
उत्तर प्रदेश में पुलिस प्रमुख श्री करमवीर सिंह अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री ब्रजलाल (कानून व्यवस्था ) अपराधियों का कुछ कर नहीं पा रहे हैंथानों में पुलिस पिटाई से मौते हो रही हैंवर्तमान में पुलिस की कार्यप्रणाली अपराधी गिरोहों जैसी हो गयी है तो दूसरी तरफ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियां भी व्यापक रूप से की जा रही हैमानव अधिकार कार्यकर्ता इनके गलत कार्यों का विरोध करते हैं इसलिए इनके मुख्य निशाने पर हैं । नक्सली साहित्य को उत्तर प्रदेश सरकार अभी परिभाषित नहीं कर पायी है किन्तु नक्सली साहित्य की बरामदगी के आधार पर आए दिन गिरफ्तारियां हो रही हैंजिन मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के ऊपर फर्जी देशद्रोह के मुक़दमे कायम किये जा रहे हैं वही जनता की निगाहों में असली देशप्रेमी हैंभ्रष्टाचारी, रिश्वतखोर, आर्थिक अपराधों के संगठित स्वरूप में दिखने वाले सुसंगठित निकाय क्या वास्तव में देश प्रेमी हैं ?

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

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