Skip to main content

खटीमा , उत्तराखण्ड बाल कल्याण संस्थान खटीमा द्वारा आयोजित इण्डो नेपाल बाल साहित्तकार सम्मेलन , दिनांक २० , २१ फरवरी २०१० को संपन्न हुआ .




मां पूर्णागिरि की छांव में , नेपाल की सरहद के पास ,हिमालय की तराई .. खटीमा , उत्तराखण्ड ...खटीमा फाइबर्स की रिसाइकल्ड पेपर फैक्ट्री का मनमोहक परिवेश ... आयोजको का प्रेमिल आत्मीय व्यवहार ...बाल कल्याण संस्थान खटीमा द्वारा आयोजित इण्डो नेपाल बाल साहित्तकार सम्मेलन , दिनांक २० , २१ फरवरी २०१० को संपन्न हुआ .
कानपुर में एक बच्चे ने स्कूल में अपने साथी को गोली मार दी ... बच्चो को हम क्या संस्कार दे पा रहे हैं ? क्या दिये जाने चाहिये ? बाल साहित्य की क्या भूमिका है , क्या चुनौतियां है ? इन सब विषयो पर गहन संवाद हुआ . दो देशो , १४ राज्यो के ६० से अधिक साहित्यकार जुटें और काव्य गोष्ठी न हो , ऐसा भला कैसे संभव है ... रात्रि में २ बजे तक कविता पाठ हुआ .. जो दूसरे दिन के कार्यक्रमों में भी जारी रहा .. बाल पत्रिकाओ के संपादक , कवि , लेखक , बाल साहित्य मनीषी , विवेचक , स्थानीय बुद्धिजीवियो ने , व बच्चो ने कार्यक्रम में अपनी अपनी हिस्सेदारी निभाई .
९४ वर्षीय बाल कल्याण संस्थान खटीमा के अध्यक्ष आनन्द प्रकाश रस्तोगी की सतत सक्रियता , साहित्य प्रेम , व आवाभगत से हम सब प्रभावित रहे .. ईश्वर उन्हें चिरायु , स्वस्थ रखे . अन्त में आगत रचनाकारो को सम्मानित भी किया गया ..उत्तराखण्ड के मुख्य सूचना आयुक्त डा आर एस टोलिया जी ने कार्यक्रम का मुख्य आतिथ्य स्वीकार किया
रचनाकारो ने परस्पर किताबो, पत्रिकाओ , रचनाओ ,विचारो का आदान प्रदान किया

कुमायनी होली .. का आगाज ..स्थानीय डा. जोशी के निवास पर ..हम रचनाकारो के साथ ..

Comments

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा