Skip to main content

लो क सं घ र्ष !: महंगाई पर केन्द्र व राज्य सरकारों की तू-तू, मैं-मैं,

मंहगाई के मुददे पर केन्द्र व राज्य सरकारों के बीच वाकयुद्व चल रहा है। एक दूसरे पर मंहगाई को नियंत्रित न करने का आरोप लगाया जा रहा है। राज्यों की गेर कांग्रेसी सरकारों केन्द्र में स्थापित मनमोहन सरकार की आर्थिक नीतियों को बढ़ती महंगाई का दोषी बतला रही है तो मनमोहन सरकार की सहयोगी एन0सी0पी0 के मुखिया व भारत सरकार के कृषि मंत्री शरद पवार की बयानबाजी आग में घी का काम कर रही है। महंगाई की चक्की में पिस केवल गरीब रहा है और उसके लिए हालात बद से बदतर होते चले जा रहे हैं।
कहते हैं कि किसी भी काम की सफलता के पीछे उद्देश्य व नीयत का बहुत योगदान होता है महंगाई के मुद्दे पर फिलहाल ना तो नीयत केन्द्र सरकार की साफ दिखती है ना विपक्षी दलों की और ना प्रान्तों की सरकारों की। हर कोई महंगाई के मुद्दे की गेंद एक दूसरे के पाले में फेंककर राजनीतिक रोटियाँ सेंकने में जुटा है।
देश की अर्थव्यवस्था कृषि नीति व वाणिज्य व्यापार जिसके तहत आयात एवं निर्यात आता है, पर केन्द्र सरकार का नियंत्रण होता है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर भी नियंत्रण केन्द्र सरकार रखती है राज्य सरकारें केवल केन्द्र द्वारा प्रतिपादित नीतियों पर अमल दरामद करती है और निचले स्तर की प्रशासनिक व्यवस्था देखती है।
वर्ष 1991 में जब से देश में आर्थिक सुधारों की बयार चली तो पहला प्रहार सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर किया गया। उपभोक्ताओं को दो हिस्सों में वोट दिया गया। ए0पी0एल0 एवं बी0पी0एल0 यानि अपर पावर्टी लाइन एवं बेलो पावर्टी लाइन ए0पी0एल0 श्रेणी में देश के सामान्य नागरिकों को रखा गया और उनको मिलने वाला राशन जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उन्हें राशन दुकानदार व जिला आपूर्ति विभाग के रहमोकरम पर आधा परदा मिला करता था, वह एक के बाद एक कर के बंद कर दिया गया अब स्थिति यह है कि केवल मिट्टी का तेल मिलने के हक़दार सामान्य नागरिक रह गये हैं।
लोगों के पास का राशन कार्ड अब केवल उनके निवास की पुष्टि या परिचय मात्र के लिये रह गया है। दूसरी ओर नागरिकों को राशन कार्ड पर अनाज, चीनी, मिट्टी का तेल इत्यादि सभी वस्तुएं दिये जाने का प्रावधान बनाया गया साथ ही अति निर्धन व्यक्तियों को इसी व्यवस्था के तहत अन्त्योदय कार्ड (गुलाबी) के माध्यम से काफी सस्ते दामों पर खाद्य पदार्थों की सप्लाई की जाती है।
परन्तु इन तमाम व्यवस्थाओं पर पूर्ति विभाग का भ्रष्टाचार व राज्य सरकारों की बदनीयती ग्रहण लगाने का काम कर देती है। एक गलती तो केन्द्र सरकार की ओर से पेट्रोल पम्पों व गैस एजेंन्सियों की भांति राशन प्रणाली के कोटेदारों को निर्धारित कम कमीशन और फिर राज्य सरकारों की भ्रष्ट एवं लचर व्यवस्था के चलते खाद्यान्न भण्डारों एवं मिट्टी के तेल डिपों से दुकान तक पहुंचने के बीच के खर्चे व घटतौली से कम होते उनके कमीशन के कारण चोरी व काला बाजारी का धंधा परवान चढ़ता है। पूर्ति विभाग के अधिकारी इसी चोरी व कालाबाजारी का लाभ उठाकर कोटेदारों से प्रतिमाह अपनी हिस्सेदारी लेकर उन्हें बेलगाम बना डालते हैं। जिसका नतीजा यह है कि फर्जी राशन कार्डों की सौगात पूर्ति विभाग की शह पर पाकर कालाबाजारी का धंधा खूब चल निकलता है और आम नागरिकों को वह चाहे ए0पी0एल0 या अन्त्योदय कार्ड धारक राशन की दुकानों को अधिकांश समय बंद पाकर खाली हाथ निराशाजनक हालत में लौटना पड़ता है।
चूंकि खेल बाजार में महंगाई इतनी अधिक नहीं थी तो जनता का काम बगैर राशन दुकानों के भी चल जाता था परन्तु अब कमर तोड़ महंगाई के इस दौर में लोगों को सस्ते गल्ले की सरकारी दुकानों की याद फिर सता रही है। उधर महंगाई के मुंह उठाते दानव से अपना जनाधार खिसकने की आंशका के मद्देनजर एक बार फिर केन्द्र सरकार को ससस्ते गल्ले की व्यवस्था सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ़ करने की चिंता लग गई है। यही कारण है कि वह बराबर राज्य सरकारों पर दबाव बना नही है कि वह अपने प्रान्त में सार्वजनिक वितरण प्रणाली व्यवस्था को चुस्त दुरूस्त करें।
उधर गरीबों के मुंह से निवाला छीनकर ऐश करने वाले अधिकारियों, गल्ला माफियाओं व कोटेदारों को यह गवारा नही है इतने दिनों से वह इस धंधे पर ठाड जमा कर बैठे थे इतनी आसानी से कहां हराम छूटने वाली। राज्य सरकारों व उनके प्रशासनिक अधिकारियों के भी ऐश इसी पूर्ति विभाग की जिम्मेदारी उसकी गाड़ी का तेल भरवाने की। कोई सरकारी आयोजन हो तो उसकी खान पान की व्यवस्था की जिम्मेदारी भी पूर्ति विभाग के कंधों पर किसी अधिकारी या मंत्री या उसके किसी चमचे या बड़े पत्रकार के घर होने वाले किसी समारोह में भी पूर्ति विभाग किसी न किसी रूप में अपनी भागीदारी निभाता है।
खुले बाजार में जमा खोरी पर नियंत्रण करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी में आता है आवश्यक वस्तु अधिनियम नाम का एक हथियार भी राज्य सरकारों के पास जमाखोरों के विरूद्ध कारवाई के लिए मौजूद हैं परन्तु व्यवसईयों के वोट का फ्रिक व चुनावों के दौरान इन्ही व्यापारियों से मिलने वाले फण्ड के चलते सरकारें इनके विरूद्ध कार्यवाई करने से गुरेज करती हैं ऐसे में थोक बाजार व फुटकर बाजार के बीच भी काफी अंतर बना रहता है। कुल मिलाकर राजनीतिक बदनीयती, गलत नीतियों व ऊपर से नीचे तक फैले भ्रष्टाचार के चलते आम जनमानस मंहगाई के बोझ तले दब कर मौत की आगोश में समाया जा रहा है।

मोहम्मद तारिक खान

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

खुशवंत सिंह की अतृप्त यौन फड़फड़ाहट

अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा

Special Offers Newsletter

The Simple Golf Swing Get Your Hands On The "Simple Golf Swing" Training That Has Helped Thousands Of Golfers Improve Their Game–FREE! Get access to the Setup Chapter from the Golf Instruction System that has helped thousands of golfers drop strokes off their handicap. Read More .... Free Numerology Mini-Reading See Why The Shocking Truth In Your Numerology Chart Cannot Tell A Lie Read More .... Free 'Stop Divorce' Course Here you'll learn what to do if the love is gone, the 25 relationship killers and how to avoid letting them poison your relationship, and the double 'D's - discover what these are and how they can eat away at your marriage Read More .... How to get pregnant naturally I Thought I Was Infertile But Contrary To My Doctor's Prediction, I Got Pregnant Twice and Naturally Gave Birth To My Beautiful Healthy Children At Age 43, After Years of "Trying". You Can Too! Here's How Read More .... Professionally