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लो क सं घ र्ष !: मोहे आई न जग से लाज..........

महाराष्ट्र के मुंबई में माफिया ड़ॉन छोटा राजन के गैंग सरगना पालसन जोसेफ की (चेम्बूर जिमखाना क्लब) क्रिसमस पार्टी में पांच उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों ने डांस ठुमके. शायद जीवन में उन्हें पहली बार अपराधियों के साथ खुलकर गठजोड़ जिंदाबाद करने से अत्यधिक उल्लास मिला होगा और उन्होंने पंकज उदास को मात करते हुए गाया होगा "मोहे आई जग से लाज, मैं इतना जोर से नाची आज , की घुंघरू टूट गये "
पुलिस अपराधी गठजोड़ की यह छोटी मिसाल है अपराधियों ने राजनेताओं, पुलिस के उच्च से उच्चतम अफसर तक गठजोड़ बना लिया है अपराधियों ने न्यायिक अधिकारियो में भी निचले स्तर पर पहुँच बना रखी है जिससे आम जनता को इन गठजोड़ो के चलते कुंठा के अतिरिक्त कोई भी लाभ नहीं मिलने वाला हैठुमका लगाने वालों में स्पेशल ब्रांच के डिप्टी एस.पी वी एन साल्वे, चेम्बूर के .सी.पी प्रकाश वाणी, सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर तुलसी दास खाकर, एंटी एक्सटॉर्शन सेल के अधिकारी खालटकर और कांस्टेबल सालुंखे प्रमुख हैंइसी तरह के गठजोड़ जिले स्तर पर, प्रदेश स्तर पर राष्ट्र के स्तर पर हैंविधयिका कार्यपालिका पर उनका कब्ज़ा बना रहता है

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा