जिंदगी जब हंस के बोली॥
राह पर चलता गया मै॥
भूल कर अज्ञान बना न॥
न तो ईर्ष्या द्वेष मन में॥
भाग्य ने धोखा दिया न॥
न तो पथ से भटका मै॥
सब सितारे साथ मिलकर॥
करते है क्या हंसी ठिठोली॥
जीव जंतु मायूस न होते॥
नदिया कलरव कर सुनाती॥
पर्वतो की महिमा निराली॥
प्रिये पवन खूब गीत सुनाती॥
आसमा धरती के मध्य मै॥
एक सही महफ़िल सजा ली॥
राह पर चलता गया मै॥
भूल कर अज्ञान बना न॥
न तो ईर्ष्या द्वेष मन में॥
भाग्य ने धोखा दिया न॥
न तो पथ से भटका मै॥
सब सितारे साथ मिलकर॥
करते है क्या हंसी ठिठोली॥
जीव जंतु मायूस न होते॥
नदिया कलरव कर सुनाती॥
पर्वतो की महिमा निराली॥
प्रिये पवन खूब गीत सुनाती॥
आसमा धरती के मध्य मै॥
एक सही महफ़िल सजा ली॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर