Skip to main content

लो क सं घ र्ष !: जीवन सफल बनाना है तो, सत्य पथ अपनाना होगा

हार जाना काल चक्र से, जीत को शीश झुकाना होगा
जीवन सफल बनाना है तो, सत्य पथ अपनाना होगा

द्विधा की घनघोर घटा जब, मन मानस पर घिरती जाए
मोह, भ्रान्ति के अवरोधों से, प्रेम की धारा रूकती जाए।।

ज्ञान, विवेक, सुमति, साहस से, संशय तुम्हे मिटाना होगा
जीवन सफल बनाना है तो, सत्यपथ अपनाना होगा

संसार-सिन्धु की लहरों से, जीवन नौका टकराएगी
प्रचंड काल की भंवरों में, यह कभी उलझ जायेगी

निर्भय निर्द्वंद दृढ़ता से, तुमको पतवार चलाना होगा
जीवन सफल बनाना है तो, सत्य पथ अपनाना होगा

दुर्दिन में मित्रों का विछोह , ह्रदय को कभी व्यथित कर देगा
मित्रता, विश्वास, प्रेम का, छद्म रूप विचलित कर देगा

निर्विकार, निष्काम भाव से, स्वकर्तव्य निभाना होगा
जीवन सफल बनाना है तो, सत्यपथ अपनाना होगा

सत्य, अहिंसा, दया, प्रेम का, बीज धरा पर बोना होगा
हिंसा, स्वार्थ, इर्ष्या, घृणा से कल्पित मन धोना होगा

काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह को, जग से दूर भागना होगा
जीवन सफल बनाना है तो, सत्यपथ अपनाना होगा



मोहम्मद जमील शास्त्री

Comments

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा