फास्ट ट्रैक कोर्ट पर अपराधिक वादों का विचारण सम्पूर्ण विधि व्यवस्था के लिए चुनौती पूर्ण कार्य है प्रतिमाह माननीय न्यायधीश महोदय को 14 वादों का निर्णय करने के ठेके के साथ नियुक्त मिली है या यूँ समझो कि ऍफ़.टी.सी न्यायधीश को 14 वाद का निस्तारण प्रति माह करना आवश्यक है। जिसके कारण विचारण में पेशकार गवाह की गवाही लिख रहे होते हैं उसी समय अहलमद भी गवाही लिख रहे होते हैं , न्यायधीश महोदय भी गवाही लिख रहे होते हैं । जबकि नियम यह है एक समय में एक ही वाद का विचारण हो सकता है इसके विपरीत एक समय में एक ही न्यायलय में 6-6 मुकदमो का विचारण हो रहा होता है . स्टेनो गवाही के उपरांत होने वाले जजमेंट को टाइप कर रहे होते हैं न्यायलयों में होने वाले जजमेंट भी स्टेनो टाइप कर डालते हैं। बचाव पक्ष के अधिवक्ता के समक्ष सजा के पक्ष को सुनकर सजा लिखी जाती है। इस तरह पूरी प्रक्रिया विधि के अनुरूप न होकर व अपराधिक वादों को निर्णीत करने का काम जारी है जिससे गुण दोष के आधार पर वादों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। एक माह में 14 वादों का निस्तारण किसी भी कीमत पर नहीं हो सकता है प्रतिदिन एक वाद का निस्तारण आवश्यक है छुटियाँ आदि छोड़ कर 22-23 दिन से ज्यादा न्यायालयों की कारवाई नहीं होती है . इस प्रक्रिया के चलते माननीय उच्च न्यायलयों में अपीलों का ढेर लग गया है जेलें ठसा-ठस भरी हुई हैं बहुत सारी चीजें लिखी नहीं जा सकती हैं । न्यायलयों की अवमानना हो जाएगी यह भी लिखने का साहस नहीं हो रहा है क्षमा याचना के साथ एक छोटा सा दृश्य लिखा जा रहा है। अक्सर ब्लॉगर साथी अनुरोध करते हैं कि न्यायपालिका भ्रष्टाचारों के बारे में जनता के बीच में जानकारी आनी चाहिए । अगर वह सब लिख दिया जायेगा तो निश्चित रूप से मेरी जगह मेरे घर न होकर कारागार में होगी और मेरा परिवार भुखमरी की तरफ बढ़ने लगेगा । बड़ी हिम्मत के साथ और क्षमा मांगते हुए यह लिखा जा रहा है।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
Comments
Post a Comment
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर