जैसे हमारे यहाँ के मनुष्य धार्मिक प्रवृत के है । वैसे हमारी धरती पर जितने जिव जंतु है वे भी होते है। धार्मिक प्रवृत के । हमने कभी गौर नही किया । लेकिन भाभी के यहाँ यह अनुभव प्राप्त हुआ। हुआ यूं की हम लोग बैठ कर बातें कर रहे थे। की आगे का दरवाजा बंद था किसी ने खटखटाया। कहती हुयी जा रही थी की कोई नही होगा। गाय होगी॥ और दरवाजा खोला तो गाय ही थी। तो हमने बोला शायद सींग से खटखटाया होगा। सींग से नही खटखटाया जीभ से खटखटाया फ़िर कहने लगी की ११ गाय है जो इधर से रोज सुबह शाम आती जाती है। लेकिन दो गाय ऐसी है । वे कई लोगो के दरवाजे पर जाती है एक सींग से एक जीभ से कुण्डी खटखटाती है॥ लोग समझते है की कोई आया है । लेकिन जब सामने गाऊमाता को देखता है॥ कभी कभी तो डंडा लेके भगा देता है । और कभी कभी रोटी खिला देता है। देखो अभी मैभी डंडा लेके भगा रही हूँ । कुछ देर पहले सींग वाली गाय आई थी मैंने रोटी उसे दे दी। है। क्या बात है सींग से समझ में आया लेकिन जीभ वाली बात समझ में नही आई तभी भाभी से सामने वाली घर की तरफ़ इशारा करते हुए कहा की देखो उधर कैसे जीभ से कुण्डी उठा गिरा रही है। मै तो यह द्रश्य देख कर अचंभित रह गया फ़िर भाभी कहने लगी। कीइतना ही नही इनमे से दो गाय ऐसी है की सामने वाली शिव जी के मन्दिर में जो शिव जी नंदी सामने है ये दोनों गाये दो दो बार नंदी को चाटती है। उसके बाद नीचे की और से नदी की तरफ़ चरने और पानी पीने के लिए जाती है। जब सुबह मै नदी की तरफ़ जा रहा था। यह सौभाग्य हमें भी प्राप्त हुआ। तब मै महसूस किया की इन गायो के अन्दर क्या गुण है। की धार्मिक प्रवृत की है हमारी गाय माता।
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--- संजय सेन सागर