अर्थी सजा के रख लो॥
उठाना ही पडेगा॥
आया है बुलावा तो॥
जाना ही पडेगा॥
आया समय है अन्तिम॥
गम की बदारिया चाई॥
ब्याकुल सभी खड़े है॥
कलियाँ पड़ी मुरझाई॥
मन में जोश थोडा तो॥
लाना ही पडेगा॥
अर्थी सजा के रख लो॥
उठाना ही पडेगा॥
किए जो कर्म हमने॥
वह फल मिल गया॥
बोया जो बीज हमने॥
उसमे फूल खिल गया॥
रोते हुए सभी को ॥
हसाना ही पडेगा॥
अर्थी सजा के रख लो॥
उठाना ही पडेगा॥
शिकवा शिकायत दूर करके॥
आपस मेल रखना॥
सच की dagar सही है॥
sachai पर तुम chalnaa॥
रिश्ते kaa जो सम्बन्ध है,,
उसे nibhaanaa पडेगा॥
अर्थी सजा के रख लो॥
उठाना ही पडेगा॥
उठाना ही पडेगा॥
आया है बुलावा तो॥
जाना ही पडेगा॥
आया समय है अन्तिम॥
गम की बदारिया चाई॥
ब्याकुल सभी खड़े है॥
कलियाँ पड़ी मुरझाई॥
मन में जोश थोडा तो॥
लाना ही पडेगा॥
अर्थी सजा के रख लो॥
उठाना ही पडेगा॥
किए जो कर्म हमने॥
वह फल मिल गया॥
बोया जो बीज हमने॥
उसमे फूल खिल गया॥
रोते हुए सभी को ॥
हसाना ही पडेगा॥
अर्थी सजा के रख लो॥
उठाना ही पडेगा॥
शिकवा शिकायत दूर करके॥
आपस मेल रखना॥
सच की dagar सही है॥
sachai पर तुम chalnaa॥
रिश्ते kaa जो सम्बन्ध है,,
उसे nibhaanaa पडेगा॥
अर्थी सजा के रख लो॥
उठाना ही पडेगा॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर