जब से मेला मा आँख लड़ी॥
आवय न अवघायी॥
रोवायी आवय सजना॥
दस दाई जब तक न देखी॥
आवय नही हंसायी॥
बोलिया मा दोहरे जादू घोला॥
बनके लाग कलायी॥
कब होए हमसे मिलायी..
रोवायी आवय सजना॥
जब तक मुह से मधुर न बोला॥
कय डाई उपवास॥
जब तू हमारी मांग सजौवेया॥
लिखा जायी इतिहास॥
अब ढील करा आपन ठिठाई ॥
रोवायी आवय सजना॥
आवय न अवघायी॥
रोवायी आवय सजना॥
दस दाई जब तक न देखी॥
आवय नही हंसायी॥
बोलिया मा दोहरे जादू घोला॥
बनके लाग कलायी॥
कब होए हमसे मिलायी..
रोवायी आवय सजना॥
जब तक मुह से मधुर न बोला॥
कय डाई उपवास॥
जब तू हमारी मांग सजौवेया॥
लिखा जायी इतिहास॥
अब ढील करा आपन ठिठाई ॥
रोवायी आवय सजना॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर