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मेरे मन की आवारगी .............

My Flirting mann
मेरे मन की आवारगी .............
कभी भटकती है शहरों की
अँधेरी रातो में !
तो कभी भटकती है गाँव की
अल्हड़ पगडंडियो में !
मेरे मन की आवारगी .............
कभी भटकती है खुसरो की
रूबाइयो में !
तो कभी भटकती है आजमी की
गज़लों में !
मेरे मन की आवारगी ..............
कभी भटकती है कवि प्रदीप के
गीतों में !
तो कभी भटकती है ख़य्याम की
गज़लों में !
मेरे मन की आवारगी ..............
कभी भटकती है नील गगन के
विस्तृत पटल पर !
तो कभी भटकती है सागर की
तलहटी में !
मेरे मन की आवारगी ...............!

Comments

  1. अरे आज तो आपका ये आवारा मन हिंदुस्तान के दर्द की दवा बन गया है इतनी सारी अच्छी पोस्ट एक साथ..............वाह क्या बात है ?

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  2. bahut sunder dhang se aapne apni kavita ko pesh kiyaa....bahut achcha aapke is ghazal ko dekhkar

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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