पल्लू का पट मत गिरने दे॥
खिल जाये गी नाजुक कलियाँ॥
यौवन का रस गिर जाएगा॥
पड़ जायेगी हथकडिया॥
सिमट जायेगी सागर की गंगा॥
मन कुंठित हो जाएगा॥
अश्रु की बूंदे टपकेगी॥
जीवन बन जाएगा छलिया॥
।
हठी ठिठोली का दिन कर लो॥
चढ़ जाओ उस प्यारे पथ पर॥
जिस पथ पर सब चढ़ नही सकते॥
सूनी हो जायेगी जीवन की गलिया॥
खिल जाये गी नाजुक कलियाँ॥
यौवन का रस गिर जाएगा॥
पड़ जायेगी हथकडिया॥
सिमट जायेगी सागर की गंगा॥
मन कुंठित हो जाएगा॥
अश्रु की बूंदे टपकेगी॥
जीवन बन जाएगा छलिया॥
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हठी ठिठोली का दिन कर लो॥
चढ़ जाओ उस प्यारे पथ पर॥
जिस पथ पर सब चढ़ नही सकते॥
सूनी हो जायेगी जीवन की गलिया॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर