साजन के सहारे भूल गयी॥
माँ बाप के घर का दरवाजा॥
मैया कहती कब आओगी॥
एक बार बेटी तो घर आ जा॥
फुर्सत नही मिलाती अपने घर से॥
बच्चे स्कूल को जाते है॥
सुबह के निकले ट्यूशन पढ़ के ॥
शाम को वापस आते है॥
याद आती चुपडी रोटी ॥
जब माँ कहती थी पूरी खा जा॥
मैया कहती कब आओगी॥
एक बार बेटी तो घर आ जा॥
दूर बसी हूँ आ करके ॥
जाने का मौका नही मिलता॥
काम काज में रमी हूँ रहती॥
मन भी यहाँ से नही हिलता॥
भाभी कहती कब आओगी ॥
आके उनकी बात बता जा॥
माँ बाप के घर का दरवाजा॥
मैया कहती कब आओगी॥
एक बार बेटी तो घर आ जा॥
फुर्सत नही मिलाती अपने घर से॥
बच्चे स्कूल को जाते है॥
सुबह के निकले ट्यूशन पढ़ के ॥
शाम को वापस आते है॥
याद आती चुपडी रोटी ॥
जब माँ कहती थी पूरी खा जा॥
मैया कहती कब आओगी॥
एक बार बेटी तो घर आ जा॥
दूर बसी हूँ आ करके ॥
जाने का मौका नही मिलता॥
काम काज में रमी हूँ रहती॥
मन भी यहाँ से नही हिलता॥
भाभी कहती कब आओगी ॥
आके उनकी बात बता जा॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर