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मीडिया फेलोशिप आमंत्रित

नयी दिल्ली -'अंगिका डेवलपमेंट सोसाइटी' भागलपुर ने मुस्लिम महिलाओं में साक्षरता और देश के अलग अलग राज्यों में नक्सलवाद की मौजूदा स्थिति पर मीडिया फेलोशिप आमंत्रित की है फेलोशिप के लिए चुने गए पत्रकारों को एक लाख रूपए की राशि दी जाएगी ,जिनमे यात्रा खर्चा तथा अन्य व्यय शामिल हैं , संस्था द्वारा फेलोशिप हेतु तीन पुरुष और तीन महिला पत्रकारों का चुनाव साक्षात्कार के आधार पर किया जायेगा ,जो जनवरी के दूसरे सप्ताह में भागलपुर में आयोजित की जाएगी इस फेलोशिप हेतु अन्य जानकारी www.angika.ind.in पर उपलब्ध रहेगी ,फेलोशिप के इच्छुक पत्रकार नियम और शर्तों के आधार पर ३१ दिसम्बर तक अपना आवेदन rajesh.srivastava@angika.ind.in पर भेज सकते हैं , अन्य जानकारी 0641-2452303,2452503 पर ले सकते हैं संस्था के सचिव राजेश श्रीवास्तव ने बताया की फेलोशिप में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागी को २ लाख रूपए का रिवार्ड भी दिया जायेगा

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा