गुलशन में खिला गुल॥
गुलशन मुस्कुराने लगा॥
कूडे में देख गुल को ॥
फ़िर गुलशन मुरझाने लगा॥
पछताने लगा अपने पर॥
तब प्रभू की रट लगाता है॥
अपनी दुर्दशा को तब ॥
प्रभू को बताने लगा॥
हंस के प्रभू बोल पड़े॥
तुम धन्य हो महाशय॥
मेरे मन्दिर में तेरी गंध॥
फ़िर से यूं छाने लगा॥
गुलशन मुस्कुराने लगा॥
कूडे में देख गुल को ॥
फ़िर गुलशन मुरझाने लगा॥
पछताने लगा अपने पर॥
तब प्रभू की रट लगाता है॥
अपनी दुर्दशा को तब ॥
प्रभू को बताने लगा॥
हंस के प्रभू बोल पड़े॥
तुम धन्य हो महाशय॥
मेरे मन्दिर में तेरी गंध॥
फ़िर से यूं छाने लगा॥
यह देखें Dewlance Web Hosting - Earn Money
ReplyDeleteसायद आपको यह प्रोग्राम अच्छा लगे!
अपने देश के लोगों का सपोर्ट करने पर हमारा देश एक दिन सबसे आगे होगा