Skip to main content

कुछ काम करो...

चमकते चारो ने हंस के बोला ..हे मेरे प्रिय के वंशज उठो..तुम हमारे से ज्यादा इस धरा पर प्रकाश फैलाओ । जिससे तुम्हे यश प्राप्त हो॥ तुम यशश्वी हो ,संघर्ष शील हो॥ विवेकी हो,, बुद्धिमान हो। तुम चाहो तो आकाश को छू लो॥ तुम चाहो तो पाताल का पता लगा लो॥ तुम चाहो तो समुन्द्र की गहराई को नाप लो ॥ तुम चाहो तो मानव के मन को भाप लो॥ तुम चाहो तो नए नए आविष्कार कर सकते हो॥ क्यो की तुम्हारे अन्दर वे समस्त शक्तिया है । जो हमारे अन्दर नही है। हम केवल शाम से लेकर सुबह तक ही प्रकाश फैला सकते है। हमारी शक्तिया वही तक सिमित है । लेकिन तुम असीमित हो ॥ उठो इस धरा पर अपना नाम और अपने पूर्वजो का मान रोशन करो॥
तुम मानव वंश के वंशज हो॥
यश फैलाओ जहा में सारे॥
सारी खुशिया चूमे गी तुमको॥
तुम हो देवी दो को प्यारे॥
तुम्हे शक्तिया दान मिली है॥
उसका तुम उपयोग करो॥
अपनी प्यारी धरती माँ के॥
सीने पर मुस्कान भरो॥
तेरे मन की उत्कंठा ॥
जीवन भर जीने से हर्षित हो॥

Comments

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा