मुद्दत के बाद मुल्क में॥
फ़िर से बहार आयी॥
अद्भुत नजारा देख कर॥
पगली भी मुस्कुराई॥
खौफ बसा यहाँ था॥
खूखार लोग आते थे॥
हया दया न करते॥
आतंक बहुत फैलाते थे॥
चादर के अन्दर लोग यहाँ॥
तेरे थे जमुहाई॥
कुत्ते भी मूक बन कर॥
कोने में रोते थे॥
बच्चे बिचारे सहम कर॥
छुप करके के सोते थे॥
उनके दिलो में हमने॥
देखा केवल ठिठाई॥
फ़िर से बहार आयी॥
अद्भुत नजारा देख कर॥
पगली भी मुस्कुराई॥
खौफ बसा यहाँ था॥
खूखार लोग आते थे॥
हया दया न करते॥
आतंक बहुत फैलाते थे॥
चादर के अन्दर लोग यहाँ॥
तेरे थे जमुहाई॥
कुत्ते भी मूक बन कर॥
कोने में रोते थे॥
बच्चे बिचारे सहम कर॥
छुप करके के सोते थे॥
उनके दिलो में हमने॥
देखा केवल ठिठाई॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर