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लो क सं घ र्ष !: दोस्त-दोस्त न रहा

साम्राज्यवादी लूट शोषण करने में अमेरिका और इजराइल की जोड़ी प्रसिद्ध है और इन दोनों देशों की खुफिया एजेन्सी सी आई और मोसाद विकास शील देशों के ख़िलाफ़ एकजुट होकर काम करती रहती है लेकिन समय आने पर वे एक दूसरे के विरूद्व जाकर अपना अधिपत्य कायम करना चाहती हैअभी कुछ दिन पूर्व अमेरिकी वैज्ञानिक को गिरफ्तार किया गया है जिसके ऊपर आरोप है की उसने इजराइल को ताजा खुफिया जानकारियाँ दी हैअमेरिकी वैज्ञानिक स्टीवर्ट डेविड नोजेट को एक स्टिंग ऑपरेशन में एफ.बी.आई एजेंट ने पकड़ा हैइजराइल हमेशा से अपने हितों की पूर्ति के लिए अमेरिका के ऊपर तमाम तरह के प्रयोग करता रहता हैइससे पूर्व ग्यारह सितम्बर की घटना वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में एक भी इजराइली कर्मचारी नही मारा गया था क्योंकि उस दिन सभी हजारो इजराइली करमचारियों ने एक साथ छुट्टी ले रखी थी और अमेरिकन साम्राज्यवाद ने उस दिशा में घटना की जांच करने की हिम्मत भी नही की और एशियाई मुल्कों के ऊपर तोहमत मड़कर अपना आतंक का साम्राज्य फैलाना शुरू कर दियासाम्राज्यवादी लूट में दोस्त-दोस्त रहा, बल्कि मुख्य चीज यह है कि किस तरीके से एक दूसरे के ऊपर दबाव बनाकर ज्यादा से ज्यादा लाभ लिया जा सके

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा