हे प्रभा तुम बनो भयानक॥
नदिया दल दल बन जायेगी॥
पवन प्रलय कर देगी पल को॥
रितुये चिता जलायेगी॥
अब बचेगा न वह अत्याचारी॥
तब नगर बधू मंगल गायेगी॥
महाकाल लीलेगा उसको॥
पटक शिला पर फाड़े गा टांग॥
तब कोयल मधुर गीत बोलेगी॥
डरे हुए मानव अब जाग॥
गया अधर्मी छोड़ धरा को॥
नगर में पुरुवा फ़िर डोलेगी॥
नदिया दल दल बन जायेगी॥
पवन प्रलय कर देगी पल को॥
रितुये चिता जलायेगी॥
अब बचेगा न वह अत्याचारी॥
तब नगर बधू मंगल गायेगी॥
महाकाल लीलेगा उसको॥
पटक शिला पर फाड़े गा टांग॥
तब कोयल मधुर गीत बोलेगी॥
डरे हुए मानव अब जाग॥
गया अधर्मी छोड़ धरा को॥
नगर में पुरुवा फ़िर डोलेगी॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर