Skip to main content

सेक्स बेचा जाता है लेकिन यहां नहीं...

नई दिल्ली. दिल्ली में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी भले ही रफ्तार न पकड़ पा रही हो लेकिन यहां पर कॉलगर्ल की तैयारी जोर पकड़ने लगी है। दिल्ली में लड़कियों की संख्या में 50 फीसदी तक की कमी आ गई है जिसे पूरा करने के लिए मुंबई, बेंग्लोर और पूणे से भारी संख्या में लड़कियों को मंगाया जा रहा है।
यह तो जगजाहिर है कि ऐसे खेल के आयोजन के दौरान लड़कियों की डिमांड भी बढ़ जाती है। और दलाल अच्छा पैसा कमाने के लिए ऐसे समय दोगुने दाम की मांग करते हैं। सबसे बड़ी बात बाहर से आने वाले मेहमानों में यह डिमांड सबसे ज्यादा रहती है। वे खेल का भरपूर मजा तो लेते ही हैं साथ में अपनी शारीरिक भूख भी मिटाते हैं।
एक प्रमाण के मुताबिक जब भी इस प्रकार के खेल का आयोजन होता है उस समय कंडोम की बिक्री में भी एकाएक इजाफा हो जाता है। बीते वर्ष चीन में संपन्न हुए ओलंपिक खेल में एक लाख से ज्यादा कंडोम की बिक्री हुई थी, जिससे यह तो साफ हो जाता है कि ऐसे समय में लड़कियों की संख्या एकाएक बढ़ जाती है।
वहीं दूसरी तरफ हम खेल का आयोजन इसलिए करते हैं जिससे दो देश अथवा अलग-अलग देश एक दूसरे के और नजदीक आ सकें, दो देशों के बीच आपसी संबध अच्छे बन सके। लेकिन भारत में तो विदेशी मेहमानों को आकर्षित करने के लिए सेक्स खेल का आयोजन भी किया जा रहा है। कॉमनवेल्थ खेल के साथ-साथ कंडोम बेचने वाली कंपनी को भी इस बार काफी इजाफा होने की उम्मीद जताई जा रही है।
खिलाड़ियों के नजरिए से देखा जाए तो वे भारत में आकर अच्छे खेल के साथ गोल्ड मेडल जीतकर अपने देश वापस जाना चाहते हैं। दिल्ली सरकार यह पूरा प्रयास कर रही है कि बाहर से आने वाले मेहमानो को कैसे खुश रखा जा सकता है। इस दरमियान चियर्सलीडर्स और अन्य कार्यक्रमों का भी भरपूर इंतजाम रहेगा।
2010 में आयोजित कॉमनवेल्थ खेल कई तरह से विवादों में चल रहा है लेकिन आयोजन समिति और कॉमनवेल्थ खेल संघ के बीच लगातार मुलाकात भी हो रही है। साथ ही यह निश्चित किया जा रहा है कि खेल आयोजन के समय बढ़ते सेक्स के बदले अच्छे खेल को कैसे आयोजित किया जाए। विश्व के अन्य देशों में सेक्स बेचा जाता है लेकिन इस मामले में भारत में यह काम सरेआम तो नहीं किया जाता है...


आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Comments

  1. हमें अपनी तहज़ीब का ध्यान तो रखना ही होगा। हालांकि टीम इंडिया के कोच गैरी कर्स्टन भारतीय खिलाड़ियों को खेल से पहले सेक्स की सलाह देकर विवाद मोल ले चुके हैं। उम्मीद है आपका ये लेख सरकार की आंखे ज़रूर खोलेगा।

    ReplyDelete
  2. bahut behtareen .... hume apni tahzeeb wo culture ka khyal karna hoga otherwise iska asar aage bahut vikral roop lelegi atah sarkaar is traf akarshit to hona hi chahiye

    ReplyDelete
  3. क्या बात कहते हैं , यहाँ सेक्स नहीं बेचा जाता , क्या आपने जो आंकडे दिए हैं वहां मुफ्त में सप्लाई किया जायगा ? हा खेल विदेशी लायेंगे तो सेक्स को बेचना भी सीखेंगे , सीख रहे हैं | विदेशी खेल, विदेशी पैसा, विदेशी संस्कृति , अपनों को यहाँ पूछता ही कौन है, हम तो पिछडे ही हैं हर खेल में |

    ReplyDelete
  4. Hi would you mind letting me know which hosting company you're using? I've loaded your blog in
    3 completely different internet browsers and I must say this blog loads a lot faster then most.
    Can you recommend a good hosting provider at a fair price?
    Cheers, I appreciate it!

    Visit my homepage :: Le parfait skin

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा