लागल पगलाय जाइब॥
आवे नाही निंदिया॥
घायल बनाय देहली॥
तोहरी सुरातिया॥
जब तू लगावलू ॥
अंखिया मा कजरा॥
टुकुर-टुकुर देखला॥
उपरा से बदरा॥
झम-झम बाजेला॥
पायलिया से बिछिया॥
लागल पगलाय जाइब॥
आवे नाही निंदिया॥
जब तू हसलू तो ॥
झरे लागल मोटी॥
बड़ी हमके नीक लागे॥
लम्बी लम्बी चोटी॥
नइखे लागल मनवा हमरा॥
सूनी लागे सेजिया॥
लागल पगलाय जाइब॥
आवे नाही निंदिया॥
आवे नाही निंदिया॥
घायल बनाय देहली॥
तोहरी सुरातिया॥
जब तू लगावलू ॥
अंखिया मा कजरा॥
टुकुर-टुकुर देखला॥
उपरा से बदरा॥
झम-झम बाजेला॥
पायलिया से बिछिया॥
लागल पगलाय जाइब॥
आवे नाही निंदिया॥
जब तू हसलू तो ॥
झरे लागल मोटी॥
बड़ी हमके नीक लागे॥
लम्बी लम्बी चोटी॥
नइखे लागल मनवा हमरा॥
सूनी लागे सेजिया॥
लागल पगलाय जाइब॥
आवे नाही निंदिया॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर