Skip to main content

नजरिया ...

एक कहानी

ज़िन्दगी की राहो मे अक्सर चलते-चलते वजूद मे उठते सवालो के दरमिया ही अक्सर हम अपने आप को और अपनी पहचान को तलाश करते रहते है कुछ ऐसे ही माध्यम से मैने जहन मे उठते सवालो से अपनी सोच को बयान करने की कोशिश की है।एक बागबां मे एक माली था उस माली की खासियत यह कि वो काफ़ी पढा लिखा और होशियार होने के साथ-२ कला पसन्द बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी था उसके बागबां मे कई तरह के फूल खिलते, वो उनकी बडे ही प्यार से देखभाल करता, माली की मानसिकता और सोच से सारा बागबां रौशन था और उसे अपने हुनर पर नाज़ था ।एक दिन अपने ही बागबां मे टहल रहा था उसे एक गुलाब का बेहतरीन फूल खिला हुआ दिखाई दिया और वे दोनो एक दूसरे से बाते करने लगे -माली ने कहा- तुम कितने खूबसूरत होगुलाब ने कहा- खूबसूरती तो देखनेवाले की आंखो मे होती है.माली ने कहा-लेकिन उसकी सोच मे भी वो गहराई होनी चाहिये जिस से वो अपनी खूबसूरती को मयस्सर हो सके.गुलाब ने कहा - हा तुम बिल्कुल सही कहते हो.माली ने कहा- मेरे पास एक मिट्टी का बना हुआ शरीर है जिसे एक नाम दिया है.गुलाब ने कहा-उसी शरीर से तुम प्रस्तुत होते हो अपने आप को दुनियां के सामने प्रदर्शित करने के लिये वही तुम हो जिसे दुनियां उस नाम से पहचानती है.माली ने कहा - मेरे पास कलात्मक नज़रिया और कला का स्तर है.गुलाब ने कहा- तुम्हारी कला मेरे रूप के जैसे खूबसूरत है.माली ने कहा- खूबसूरती तो देखनेवाले की आंखो मे होती है ऐसा तुमने कहा है.गुलाब ने कहा- मगर हर कोई उस खूबसूरती की अहमियत को समझता कहा है. माली ने कहा- मगर जो समझता है उसे कितने लोग सही ढंग से समझते है.गुलाब ने कहा- मै समझता हूं तुम कहो तो सही,माली ने कहा- मै तुम्हारी खूबसूरती से बहुत प्रभावित हूं.गुलाब ने कहा-तुम प्रभावित नही हो, तुम मे वो नज़रिया है कि तुम उस स्तर से मुझे देखने की नज़र रखते हो, तुम्हारे अन्दर वो काबिलियत भरी नज़र उपलब्ध है.माली ने कहा-तो क्या मेरे वजूद मे कुछ भी खूबसूरत नही है,गुलाब ने कहा- मैने ये कब कहा कि तुम्हारे वजूद मे खूबसूरती नही है,तुम्हारे वजूद मे वो नज़र है जो दो पहलुओ को गौर से देख और समझने के माध्यम को सार्थकता प्रदान करती है ऐसा मेरा मानना है.माली ने कहा- तो क्या हम सिर्फ़ माध्यम है ?गुलाब ने कहा- बिल्कुल सिर्फ़ माध्यम क्योकि तुम सोचते हो वैसी घटना सबसे पहले तुम्हारे जहन मे घटती है उसके बाद अलफ़ाजो मे ढलकर जुबां पर आती है जिस्म तुम्हारा माध्यम है और शब्द उसके ऊपर है यदि शब्द हटा दिये जाये तो तुम कुछ भी नही सिवाय शून्य के जो गोल है प्रथवी की तरह वो फ़िर अपने आकार की सिर्फ़ कल्पना करके देखो,माली ने कहा- अगर कोई व्यक्तित्व के आधार पर काबिल है और विचारो से खूबसूरत है तो क्या उसका साथ चाहना गलत है.गुलाब ने कहा- यहां पर बात सही और गलत की नही है जब तुम खुद इतने काबिल और हुनरमन्द हो और कलात्मक नज़रिये से परिपूर्ण हो तो फ़िर मै एक छोटा सा गुलाब इस कला के सामने भला क्या अहमियत रखता हूं.माली ने कहा- सच कहा खुद की अहमियत हमे दूसरो की नज़रो से ही पता चलती है क्योकि अहमियत और खूबसूरती का सीधा संबंध अनुशासन और व्यक्तित्व विकास से होता है जो कि ज़िन्दगी के सबसे अहम हकीकत है जिस के आधार पर जीवन का क्रम बना हुआ है.गुलाब ने कहा- तुम्हारा कलात्मक नज़रिया मेरी खूबसुरती के समान है जहां दो एक जैसी सोच वाले मिलते है वहां प्रभाव कुछ अलग मायने रखता है यह निर्भर सामाजिक परिवेश पर करता है.माली ने पूछा-क्या प्रभाव के दायरे मे (प्रभावित होने से) आने से इन्सान अपने आप को बचा सकता है ?गुलाब न कहा- नही , ऐसा मुमकिन नही है आप एक इन्सान है और वो असर के होने को नही रोक पाता क्योकि यह एक सामान्य सी प्रक्रिया होते हुई भी एक विशेष प्रक्रिया होती है.माली ने कहा- अगर मुझे तुम्हारी दोस्ती नही मिली तो मै टूटने (बिखरने) लगता हूं. गुलाब ने कहा- तुम जैसा आकर्षक व्यक्तित्व वाला व्यकित एक गुलाब से प्रभावित होकर टूट जाये तो क्या ये तुम्हे शोभा देता है (या फ़िर ये कहां की समझदारी मे आता है)माली ने कहा-यही मेरे कलाकार होने का ठोस सबूत है.गुलाब ने कहा-अगर तुम्हारे अन्दर ये कलाकार होने का ठोस सबूत है तो तुम्हे उसी कला वास्ता जिस स्तर पर तुम्हारा व्यक्तित्व इतना प्रभावशील है.माली ने कहा- तो क्या तुम मेरे साथ दोस्त बनकर नही चल सकते ?गुलाब ने कहा- दोस्त बनाये नही जाते उनकी पहचान की जाती है कि उनमे दोस्ती निभाने की सार्थकता कितनी है या फ़िर वो महज एक स्वार्थ के आधार पर टिका हुआ काम चलाने जैसा ही रिश्ता है जब जरुरत महसूस हुई आ गये दर पर तेरे, माली ने कहा-फ़िर ये बताओ मै किस तरह से तुम्हारी नज़र की हस्ती मे अपनी श्रेष्ठता को साबित कर सकता हूं, जिस से की तुम्हारी और मेरी दोस्ती हो जाये.गुलाब ने कहा - यह तो निर्भर करता है कि मुश्किलो के वक्त तुम मेरा किस कदर साथ देकर मुझे उन मुश्किलो से पार ले जाते हो और अपने वजूद के होने का अहसास का परिचय यदि तुमने दे दिया तो समझ लेना कि हमारी दोस्ती यकीनन इस दुनियां सबसे बेहतरीन रिश्तो मे एक होगी, दोनो की दोस्ती मे विचारो के आदान-प्रदान का सिलसिला चलता रहा और रिश्ते ने एक मिसाल कायम कर ली जिससे की यकीन की खुश्बू से बागबां रौशन हो गया और एक दिन माली - उस गुलाब के साथ की गई दोस्ती को निभाने के लिये अपने माध्यम से फ़र्ज़ को अन्जाम देते हुय़े मौत के आगोश मे चला गया ये बात जैसे दूसरे दिन की सुबह गुलाब को पता चली तो गुलाब अपने आप स्वयं ही टूटकर श्रदाजंली स्वरुप उसके कब्र पर गिरकर बिखर गया और उसी पल कब्र से आवाज़ आई इतना टूटकर चाहा था मैने तुझे जब गिरना ही मेरी आगोश मे था तो मेरे जीते जी क्यो नही गिरे आज गिरे हो आगोश मे तो तुम्हे उठाने वाला कोई नही है यही से सफ़र शुरु होता है यदि मिटता है तो समर्पण है और साथ देता है तो दोस्ती है कब तक जब तलक आखरी सांस है तब तक है दोनो एक ही पहलू से दो अलग-अलग राहो से सफ़र करते हुय़े एक ही जगह पर आकर सिंमट गये है वक्त के आगोश मे इतिहास मे एक मिसाल बनकर रह गयी बागबां मे खूबसूरती तेरी-मेरी जिसे दुनियां किसी नाम से जानती है।


कुंवर समीर शाही

अयोध्या से

Comments

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा