एक पुराना किला था जो जमीन के अन्दर था॥ जमीन भी समतल थी जो की किला दूर से दिखाई नही देता था। और किले के दोनों और शायद शिठिया थी। ठीक उसी के बगल में एक तालाब था। उस तालाब में बहुत से पशु पक्षी रहते थे॥ तालाब के उस पार एक भव्य मन्दिर था उस मन्दिर में भगवान् शिव पूरे परिवार के साथ निवास करते थे। मन्दिर की देख -भाल एक पुजारी बाबा करते थे । और उस मन्दिर के बगल में एक कमरा था उसमे पुजारी बाबा रहते थे। जब वे रात में सोते थे तो वे। आधी रात को अपने आप जाग जाते थे । तब उन्हें उस किले के पास एक युगल का जोड़ा न्रत्य करते दिखाई देता था। पुजारी बाबा नृत्य और गान बड़े ध्यान से सुनते थे। और देखते भी थे। पुजारी बाबा को वह गीत आज भी याद है।
गीत:
तुम मीत हो हमारे॥
हम मीत है तुम्हारे॥
बैठो समीप मेरे ॥
कुछ बात कीजिये॥
दुःख दर्द थोडा थोडा॥
बाट लीजिये॥
मिलते हो जब अकेले॥
नजरे झुकाते क्यो हो॥
बातें भी नही करते ॥
तुम मुस्कुराते क्यो हो॥
नजरो में नजरे डाल के॥
निहार लीजिये॥
पुजारी बाबा के लिए यह आश्चर्य की बात थी। उन्होंने अपने कई सगे संबंधियों को बता दिया था और बोले भी थे की आप लोग आज रात में आना हम आप लोगो को वह द्रश्य दिखाए गे । जो हर मानव के लिए असंभव होता है। लोग रात का इन्तजार करने लगे । रात होते होते लोगो का जमावडा भी होगया लेकिन वह द्रश्य दिखाई नही दिया । लोग पुजारी बाबा जो जूठा कही का बोल कर चले गए। लेकिन दो लोगो ने वही विश्राम करने लगे और पुजारी बाबा के साथ उनको भी नींद आने लगी । नींद आते ही पुजारी बाब ने सपना देखा ॥ सपना क्या था> हे पुजारी बाबा अगर आप समस्त लोगो को हमारा नृत्य और गान दिखाना चाहते हो तो असंभव है। अगर आप के साथ दो लोग हो तो वे भी हमारे नृत्य और गान का आनंद उठा सकते है। फ़िर पुजारी बाबा ने दो दो करके गाँव के कई लोगो को अजूबी रात का आनंद दिलाया॥ एक दिन पुजारी बाबा उन युगलों के पास गए और प्रश्न कर बैठे आप कौन हो॥ कहा से आए हो ॥ तब उत्तर मिला की हे पुजारी बाबा अभी आप कुछ दिनों तक तप करो मई फ़िर १४ साल बाद आऊगा। केवल १५ दिन के लिए जब शरद पूर्णिमा आए गी तो। आप अगर अच्छे कर्म करेगे तो आप को ख़ुद प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा॥ लेकिन याद रहे कर्म प्रधान होता है, अब पुजारी बाबा को १४ साल तक इन्तजार करना पडेगा। ( अजूबी रात )
गीत:
तुम मीत हो हमारे॥
हम मीत है तुम्हारे॥
बैठो समीप मेरे ॥
कुछ बात कीजिये॥
दुःख दर्द थोडा थोडा॥
बाट लीजिये॥
मिलते हो जब अकेले॥
नजरे झुकाते क्यो हो॥
बातें भी नही करते ॥
तुम मुस्कुराते क्यो हो॥
नजरो में नजरे डाल के॥
निहार लीजिये॥
पुजारी बाबा के लिए यह आश्चर्य की बात थी। उन्होंने अपने कई सगे संबंधियों को बता दिया था और बोले भी थे की आप लोग आज रात में आना हम आप लोगो को वह द्रश्य दिखाए गे । जो हर मानव के लिए असंभव होता है। लोग रात का इन्तजार करने लगे । रात होते होते लोगो का जमावडा भी होगया लेकिन वह द्रश्य दिखाई नही दिया । लोग पुजारी बाबा जो जूठा कही का बोल कर चले गए। लेकिन दो लोगो ने वही विश्राम करने लगे और पुजारी बाबा के साथ उनको भी नींद आने लगी । नींद आते ही पुजारी बाब ने सपना देखा ॥ सपना क्या था> हे पुजारी बाबा अगर आप समस्त लोगो को हमारा नृत्य और गान दिखाना चाहते हो तो असंभव है। अगर आप के साथ दो लोग हो तो वे भी हमारे नृत्य और गान का आनंद उठा सकते है। फ़िर पुजारी बाबा ने दो दो करके गाँव के कई लोगो को अजूबी रात का आनंद दिलाया॥ एक दिन पुजारी बाबा उन युगलों के पास गए और प्रश्न कर बैठे आप कौन हो॥ कहा से आए हो ॥ तब उत्तर मिला की हे पुजारी बाबा अभी आप कुछ दिनों तक तप करो मई फ़िर १४ साल बाद आऊगा। केवल १५ दिन के लिए जब शरद पूर्णिमा आए गी तो। आप अगर अच्छे कर्म करेगे तो आप को ख़ुद प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा॥ लेकिन याद रहे कर्म प्रधान होता है, अब पुजारी बाबा को १४ साल तक इन्तजार करना पडेगा। ( अजूबी रात )
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर