दिल्ली में हुयी दिल्लगी॥
दिलदार भी मिला॥
ख्वाबो में खोये रहते॥
थोडा प्यार भी मिला॥
कुछ दिनों के बाद ॥
तूफ़ान भी आ गया॥
वह नही था नसीब में॥
उड़ के कही गिरा॥
बीती बातो को याद करके॥
हम आंसुओ को पी रहे है॥
शायद वह वापस आए॥
आंशाओ में जी रहे है॥
न है कोई शिकायत ॥
न है कोई गिला॥
मुझे बड़ा अफशोस है॥
मेरा दिलदार न मिला॥
दिलदार भी मिला॥
ख्वाबो में खोये रहते॥
थोडा प्यार भी मिला॥
कुछ दिनों के बाद ॥
तूफ़ान भी आ गया॥
वह नही था नसीब में॥
उड़ के कही गिरा॥
बीती बातो को याद करके॥
हम आंसुओ को पी रहे है॥
शायद वह वापस आए॥
आंशाओ में जी रहे है॥
न है कोई शिकायत ॥
न है कोई गिला॥
मुझे बड़ा अफशोस है॥
मेरा दिलदार न मिला॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर