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लो क सं घ र्ष !: बुदबुदाते, खदबदाते, भरे बैठे लोगों को व्यंग्य वार्ता का आमंत्रण

प्रिय साथियो!
चलिये समाज की कुरीतियों, विसंगतियों, झूठ व आडम्बर पर प्रहार करें। हमारे औजार हमारी संवेदनाएं, हमारी अनुभूतियां, हमारे अनुभव होंगे और इनको जो धार देगा निस्संदेह वह व्यंग्य होगा। आईये हमसे हाथ मिलाइये और करिए समाज की सफाई; क्योंकि अब ‘व्यंग्यवार्ता’ का शुभारम्भ हो चुका है। संभावित दूसरा अंक पुलिस विशेषांक होगा। कमर कसिए, कलम घिसिए और भेज दीजिए अपनी चुटीली रचनाएं। हम उन सभी का स्वागत करते हैं जिनकी मुट्ठी अभी भी भिचतीं है और जो समाज को सुन्दर, बेहतर और स्वस्थ देखना चाहते हैं..........।

शुभकामनओं सहित...!
आपका मित्र
अनूप मणि त्रिपाठी
सम्पादक
व्यंग्यवार्ता
24, जहाँगीराबाद मेंशन, हजरतगंज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
09956789394, 09451907315

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

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