Skip to main content

लो क सं घ र्ष !: ऊदा देवी :- 2

शहीद वीरांगना ऊदा देवी अवध के छठे बादशाह नवाब वाजिद अली शाह के महिला दस्ते की सदस्य थीं। वाजिद अली शाह ने, जो दौरे वली अहदी में परीख़ाना की स्थापना के कारण लगातार विवाद का कारण बने रहे तथा 1847 की फरवरी में बादशाह बनने के बाद अपनी जुनून की हद तक पहुँची संगीत प्रियता के कारण बार-बार ब्रिटिश रेजीडेंट द्वारा चेताये जाते रहे, बड़ी मात्रा में सैनिकों की भर्ती की जिसमें लखनऊ के सभी वर्गों के ग़रीबजनों को रोज़गार पाने का अच्छा अवसर मिला। ऊदादेवी के पति जो स्वयं भी काफी साहसी व पराक्रमी थे, वाजिद अली शाह की सेना में भर्ती हुए। वाजिद अली शाह ने इमारतों, बाग़ों, संगीत, नृत्य व अन्य कला माध्यमों की तरह अपनी सेना को भी बहुरंगी विविधता तथा आकर्षक वैभव दिया। उन्होंने अपनी पलटनों को तिरछा रिसाला, गुलाबी, दाऊदी, अब्बासी, जाफरी जैसे फूलों के नाम दिये और फूलों के रंग के अनुरूप ही उस पल्टन की वर्दी का रंग निर्धारित किया। परी से महल बनी चहेती बेगम सिकन्दर महल को ख़ातून दस्ते का रिसालदार बनाया गया। जिससे स्पष्ट होता है कि वाजिद अली शाह ने अपनी कुछ बेगमों को सैनिक तरबियत दिलायी थी। यों उन्होंने बली अहदी के दौर में अपने तथा परियों की हिफाज़त के उद्देश्य से तीस फुर्तीली स्त्रियों का एक सुरक्षा दस्ता भी बनाया था। जिसे अपेक्षानुरूप सैनिक प्रशिक्षण भी दिया गया। संभव है ऊदा देवी पहले इसी दस्ते की सदस्य रही हों क्योंकि बादशाह बनने के बाद नवाब ने इस दस्ते को भंग करके बाकायदा स्त्री पलटन खड़ी की थी। इस पलटन की वर्दी काली रखी गयी थी।
निःसन्देह इस पलटन में अफ्रीकी नस्ल की कुछ अश्वेत औरतें भी थीं लेकिन शायद काली वर्दी के कारण लेफ्टिनेंट कर्नल गोर्डेन एलक्जे़न्डर को, मारी गयी औरतें हब्शिनें नजर आईं, जिन्हें उसने ब्लैक कैट्स कहा और बताया कि वे जंगली बिल्लियों की तरह झपट-झपट कर लड़ीं। जबकि सार्जेण्ट फार्बस मिच्चल ने सिकन्दर बाग के उपवन में स्थित पीपल के एक बड़े पेड़ की ऊपरी शाख पर बैठी एक ऐसी स्त्री का विशेष उल्लेख किया है, जिसने अंग्रेजी सेना के कोई बत्तीस सिपाही और अफसर मारे। लंदन टाइम्स के संवाददाता विलियम हावर्ड रसेल ने लड़ाई के समाचारों का जो डिस्पैच लंदन भेजा उसमें पुरुष वेशभूषा में एक स्त्री द्वारा पीपल के पेड़ से फायरिंग करके तथा अंग्रेजी सेना को भारी क्षति पहुँचाने का उल्लेख प्रमुखता से किया। संभवतः लंदन टाइम्स में छपी खबरों के आधार पर ही कार्ल माक्र्स ने भी अपनी टिप्पणी में इस घटना को समुचित स्थान दिया। वीरांगना ऊदा देवी का ससुराली नाम जगरानी माना जाता है। इनके भक्त दृढ़ता से यह मत व्यक्त करते रहे हैं कि ऊदा देवी उर्फ जगरानी को 16 नवम्बर 1857 को सिकन्दरबाग में साहसिक कारनामा अंजाम देने की शक्ति उनके पति मक्का पासी के बलिदान से प्राप्त हुई। अर्थात 10 जून 1857 को लखनऊ के कस्बा चिनहट के निकट इस्माईलगंज में हेनरी लारेंस के नेतृत्व में ईस्टइंडिया कम्पनी की फौज के साथ मौलवी अहमद उल्लाह शाह की अगुवाई में संगठित, विद्रोही सेना की ऐतिहासिक लड़ाई में मक्का पासी की शहादत ने उनमें प्रतिशोध की ज्वाला धधकाई। इस प्रतिशोध कीे आग, उन्होंने कानपुर से आयी काल्विन कैम्बेल सेना के 32 सिपाहियों को मृत्युलोक पहुँचाकर बुझाई। इस लड़ाई में वे खुद भी वीरगति को प्राप्त र्हुइं। कहा जाता है इस स्तब्ध कर देने वाली वीरता से अभिभूत होकर काल्विन कैम्बेल ने हैट उतारकर शहीद ऊदा देवी को श्रद्धांजलि दी। निश्चय ही सिकन्दर बाग की लड़ाई चिनहट के महासंग्राम की अगली कड़ियों में से एक थी। यक़ीनी तौर पर चिनहट की लड़ाई में विद्रोही सेना की विजय तथा हेनरी लारेंस की फौज का मैदान छोड़कर भाग खड़ा होना पहले स्वाधीनता संग्राम की बहुत बड़ी उपलब्धि थी। जिसके निश्चित प्रभाव कालांतर में सितम्बर 1858 तक चले इस संग्राम पर पड़े। यह भी सही है कि दमन के सहारे साम्राज्य को फैलाये जाने के खिलाफ भारतीय अवाम में प्रतिशोध की जो लहर विस्तार पा रही थी उसका उल्लेख पहले भी आया है, मक्कापासी तथा ऊदादेवी इसकी विराटता से अलग नहीं थे, उनके भीतर भी वही आग थी, ज़ालिम फिरंगियों को खदेड़ो, मारो और बाहर निकालो। यह बहुत संभव है कि पति की मृत्यु के बाद ऊदा देवी में प्रतिशोध की यह ज्वाला अधिक उग्र हो आयी हो।

शकील सिद्दीकी
एम0आई0जी0-317 फेस-2
टिकैतराय एल0डी0ए0 लखनऊ-7
मोबाइल: 09839123525

loksangharsha.blogspot.com

.....जारी ......*

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

खुशवंत सिंह की अतृप्त यौन फड़फड़ाहट

अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा

Special Offers Newsletter

The Simple Golf Swing Get Your Hands On The "Simple Golf Swing" Training That Has Helped Thousands Of Golfers Improve Their Game–FREE! Get access to the Setup Chapter from the Golf Instruction System that has helped thousands of golfers drop strokes off their handicap. Read More .... Free Numerology Mini-Reading See Why The Shocking Truth In Your Numerology Chart Cannot Tell A Lie Read More .... Free 'Stop Divorce' Course Here you'll learn what to do if the love is gone, the 25 relationship killers and how to avoid letting them poison your relationship, and the double 'D's - discover what these are and how they can eat away at your marriage Read More .... How to get pregnant naturally I Thought I Was Infertile But Contrary To My Doctor's Prediction, I Got Pregnant Twice and Naturally Gave Birth To My Beautiful Healthy Children At Age 43, After Years of "Trying". You Can Too! Here's How Read More .... Professionally