Skip to main content

अब भाजपा का अन्तिम संस्कार हो ही जाना चाहिए

सलीम अख्तर सिद्दीक़ी
लोकसभा चुनाव में हार के बाद से ही भाजपा में घमासान मचा हुआ है। जसवंत सिंह की किताब आने के बाद तो भाजपा की जंग कौरव और पांडव सरीखी लड़ाई में तब्दील हो गयी है। लेकिन यहां कौरव और पांडव की शिनाख्त करना मुश्किल है। सब के सब दुर्योधन नजर आ रहे हैं। युधिठिर का कहीं अता-पता नहीं है। ऐसा लग रहा है मानो भगवान राम को बेचने वाली भाजपा में रावण की आत्मा प्रवेश कर गयी है। उसके दस चेहरे हो गए हैं। यही पता नहीं चल पा रहा है कि कौनसा चेहरा क्या और क्यों कह रहा है। एक दूसरे पर इतनी कीचड़ उछाली जा रही है कि 'कमल' भी कीचड़ से बदसूरत हो गया है। भाजपा की चाल बदल गयी है। चरित्र तो उसका कभी था ही नहीं। चेहरा कई चेहरों में बदल गया है। बात यहां तक पहुंच चुकी है कि घमासान रोकने के लिए भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस को आगे आना पड़ा है। हालांकि संध यह कहता रहा है कि भाजपा के आंतरिक मसलों से संघ को कुछ लेना-देना नहीं है। सवाल किया जा सकता है कि जब कुछ लेना-देना नहीं है तो संघ प्रमुख मोहन भागवत क्यों भाजपा नेताओं से मुलाकातें करते घूम रहे हैं ?
भाजपा में मची घमासान ने 1977 की जनता पार्टी की याद दिला दी है। लेकिन इतनी कीचड़ तो 1977 की जनता पार्टी के नेताओं ने तब भी एक-दूसरे पर नहीं उछाली थी, जब जनता पार्टी मे विभिन्न विचारधाराओं की पार्टियां और नेता शामिल थे। हां इतना जरुर था कि जनता पार्टी में फूट तब की जनसंघ की वजह से ही पड़ी थी। जनसंघ का विलय जनता पार्टी में तो जरुर हो गया था लेकिन जनसंघियों ने खाकी नेकर को नहीं त्यागा था। झगड़ा इसी दोहरी सदस्यता लेकर था। गैरसंघियों का कहना था कि जनता पार्टी में हैं तो आरएसएस से नाता तोड़ें। लेकिन जनसंघी खाकी निकर उतारना नहीं चाहते थे। जनता पार्टी टूटने के बाद जनसंघ ने 1980 में अपना चोला बदला और दीनदयाल उपाध्याय के एकात्मक मानववाद को अपना कर भारतीय जनता पार्टी का चोला पहन लिया। तमाम तरह की कोशिशों के बाद भी भाजपा एक धर्मनिपेक्ष दल नहीं बन पाया। और न वह कभी एक स्वतन्त्र रुप से राजनैतिक दल ही बन सका।
भाजपा का एजेण्डा नागपुर से ही तय होता रहा है। गौहत्या, अनुच्छेद 370 और समान सिविल कोड उसके एजेण्डे में शुरु से ही बने रहे। जब 1981 में तमिलनाडू के मीनाक्षीपुरम में बड़े पैमाने पर दलितों ने धर्मपरिवर्तन करके इस्लाम अपनाया तो भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों ने धर्मपरिवर्तन को भी अपने एजेण्डे में शामिल कर लिया था। तब भाजपा ने प्रचारित किया था कि धर्मपरिर्वतन के लिए खाड़ी के देशों से 'पैट्रो डालर' आ रहा है। यहां उल्लेखनीय है कि संघ परिवार शुरु से ही नए-नए शब्द घड़ने में माहिर रहा है। क्योंकि खाड़ी के देश पैट्रोल बेचकर ही पैसा कमाते हैं, इसलिए खाड़ी के देशों में जो भारतीय काम करते थे और अपनी कमाई का जो पैसा भारत भेजते थे, उस पैसे को 'पैट्रो डालर' की संज्ञा दी गयी थी। बहुत दिनों तक लोगों के यही समझ में नहीं आया था कि 'पैट्रोडालर' नाम की यह करंसी कब आयी और किस देश की है। तमाम तरह के हथकंडों के बाद भी भाजपा जनता में अपनी विश्वसनीयता नहीं बना सकी। 1984 में इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में भी उसके दो ही सांसद जीते थे। कुल मिलाकर भाजपा एक ऐसी पार्टी थी, जिसका कोई वजूद नहीं था। तब भी आज की तरह उसके पास सिकन्दर बख्त और आरिफ बेग नाम के दो मुस्लिम चेहरे हुआ करते थे।
1985 में जब सुप्रीम कोर्ट ने एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो के शौहर को गुजारा भत्ता देने का फैसला सुनाया तो हिन्दुस्तान की राजनीति में तूफान आ गया था। मुसलमानों ने इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखलअंदाजी मानते हुए इस फैसले का जबरदस्त विरोध किया था। कहीं मुस्लिम नाराज न हो जाएं, इसे देखते हुए राजीव सरकार ने संसद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद्द करा दिया था। मुसलमान तो संतुष्ट हो गए, लेकिन अब कांग्रेस को हिन्दुओं का डर सताने लगा। राजीव गांधी की अपरिपक्व मंडली ने हिन्दुओं को खुश करने के लिए फरवरी 1986 को 1949 से बन्द पड़ी बाबरी मस्जिद का ताला अदालत के जरिए रातों-रात खुलवा दिया। अदालत ने यह मान लिया कि यह बाबरी मस्जिद नहीं राम मंदिर है। कांग्रेस का यह ऐसा आत्मघाती कदम था, जिसने भारतीय राजनीति की दशा और दिशा बदल कर रख दी। हाशिए से मैदान पर आने को छटपटा रही भाजपा और पूरे संघ परिवार को जैसे मुंहमांगी मुराद मिल गयी। राममंदिर मुद्दे पर पूरा संघ परिवार मैदान में आ डटा। भयंकर खून-खराबे, नफरतों और साम्प्रदायिक दंगों का ऐसा सिलसिला चला कि हजारों बेगुनाह लोग मारे गए। हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच की खाई चौड़ी और चौड़ी होती चली गयी। भारत में यह पहला अवसर था, जब अपने ही देश में लोग विस्थापित हुए। संघ परिवार ने जितनी नफरत बढ़ायी लोकसभा में उसकी सीटें भी बढ़ती रहीं। वह वक्त भी आया कि 1999 में केन्द्र में भाजपा ने सरकार बनायी। सरकार में आते ही भाजपा राम को भूल गयी। अनुच्छेद 370 को तिलांजली देदी। समान सिविल कोड को भुला दिया। यानि राम को भी धोखा दिया और अपने वोटरों को भी।
'सबको देखा बार-बार हमको भी देखो एक बार' का नारा लगाने वाली भाजपा का जनता ने ऐसा चेहरा देखा, जिसको देखकर जनता सन्न रह गयी। देश ने भाजपा अध्यक्ष बंगारु लक्ष्मण को टीवी पर रिश्वत लेते देखा। भाजपा नेता जूदेव को नोटों की गड्डियों को माथे लगाते यह कहते सुना कि 'खुदा की कसम पैसा खुदा तो नहीं, लेकिन खुदा से कम नहीं।' संसद पर आतंकवादियों का हमला देखा। खूंखार पाकिस्तानी आतंकवादियों को सुरक्षित कंधार तक छोड़ते देखा। रक्षा सौदों में दलाली खाते देखा। यह सब देखा तो जनता ने लगातार दो बार भाजपा को हराकर प्रायश्चित किया। अब भाजपा फिर से एक मरती हुई पार्टी बन गयी है। इससे पहले कि फिर से संजीवनी के रुप में राममंदिर जैसा मुद्दा भाजपा के हाथ आ जाए, इसका अन्तिम संस्कार हो ही जाना चाहिए।

Comments

  1. सलीम जी सही कहा आपने भाजपा ने राम के नाम पर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ किया,खैर उससे उसे किया का ही परिणाम मिल रहा है

    ReplyDelete
  2. सलीम जी सही कहा आपने भाजपा ने राम के नाम पर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ किया,खैर उससे उसे किया का ही परिणाम मिल रहा है

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

खुशवंत सिंह की अतृप्त यौन फड़फड़ाहट

अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा

Special Offers Newsletter

The Simple Golf Swing Get Your Hands On The "Simple Golf Swing" Training That Has Helped Thousands Of Golfers Improve Their Game–FREE! Get access to the Setup Chapter from the Golf Instruction System that has helped thousands of golfers drop strokes off their handicap. Read More .... Free Numerology Mini-Reading See Why The Shocking Truth In Your Numerology Chart Cannot Tell A Lie Read More .... Free 'Stop Divorce' Course Here you'll learn what to do if the love is gone, the 25 relationship killers and how to avoid letting them poison your relationship, and the double 'D's - discover what these are and how they can eat away at your marriage Read More .... How to get pregnant naturally I Thought I Was Infertile But Contrary To My Doctor's Prediction, I Got Pregnant Twice and Naturally Gave Birth To My Beautiful Healthy Children At Age 43, After Years of "Trying". You Can Too! Here's How Read More .... Professionally