गुरू की कृपा महान है॥
जो ज्ञान का पाठ पढाता है॥
अज्ञान- रुपी अन्धकार को॥
जीवन से मेरे हटाता है॥
जला देता है ज्ञान की ज्योति॥
पंक्ति सरल हो जाती है॥
उस गुरुवार की कृपा से॥
ज्ञान की ले मिल जाती है॥
बार बार प्रणाम करू उस गुरुवार को आज॥
विधा रुपी ग्रथ का जो दिया बड़ा उपहार॥
जो ज्ञान का पाठ पढाता है॥
अज्ञान- रुपी अन्धकार को॥
जीवन से मेरे हटाता है॥
जला देता है ज्ञान की ज्योति॥
पंक्ति सरल हो जाती है॥
उस गुरुवार की कृपा से॥
ज्ञान की ले मिल जाती है॥
बार बार प्रणाम करू उस गुरुवार को आज॥
विधा रुपी ग्रथ का जो दिया बड़ा उपहार॥
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--- संजय सेन सागर