गणपति वंदन
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:।
निर्विध्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
अर्थ: हे गणेश जी! आप महाकाय हैं। आपकी सूंड वक्र है। आपके शरीर से करोडों सूर्यो का तेज निकलता है। आपसे प्रार्थना है कि आप मेरे सारे कार्य निर्विध्न पूरे करें।
विधि: घर से बाहर निकलते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
लाभ: जिस कार्य के लिए घर से निकलते हैं, वह पूरा होता है और यश मिलता है।
हिन्दी भावानुवाद
द्वारा ..... प्रो. सी. बी. श्रीवास्तव विदग्ध
सूर्य दीप्ति से प्रभामय , वक्रशुण्ड गणराज
बाधा विघ्न विनाश प्रभु, सफल करो सब काज
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:।
निर्विध्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
अर्थ: हे गणेश जी! आप महाकाय हैं। आपकी सूंड वक्र है। आपके शरीर से करोडों सूर्यो का तेज निकलता है। आपसे प्रार्थना है कि आप मेरे सारे कार्य निर्विध्न पूरे करें।
विधि: घर से बाहर निकलते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
लाभ: जिस कार्य के लिए घर से निकलते हैं, वह पूरा होता है और यश मिलता है।
हिन्दी भावानुवाद
द्वारा ..... प्रो. सी. बी. श्रीवास्तव विदग्ध
सूर्य दीप्ति से प्रभामय , वक्रशुण्ड गणराज
बाधा विघ्न विनाश प्रभु, सफल करो सब काज
very nice, mai Ganpati Bappa Ke Bhakt ho, or muze Bhagwan Ganeshpar Pura vishwas hai
ReplyDeletePragati Phadte
to achcha hai
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