प्रसन्नता की बात है कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर होने वाले प्रायोजित कार्यक्रम इस बार नहीं हुए। पूर्व वर्षों की भाँति गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कुछ एजन्सियों द्वारा कथित आतंकवादियों की पकड़-धकड़ व एनकाउन्टर जैसे कार्यक्रम नहीं हुए, इसका मुख्य कारण यह है कि अमेरिकन साम्राज्यवादियों व उनके सहयोगी इसराइल ने मुम्बई आतंकी घटना को अंजाम देकर देश में पहली बार अपने नेटवर्क को प्रारम्भ किया और उसके बाद केन्द्र सरकार से जो चाहते थे वे सहूलियतंे ले लीं। साम्राज्यवादियों का नज़रिया देश को अप्रत्यक्ष रूप से गुलाम बनाकर उसका हर तरीके से शोषण करना है। साम्राज्यवादियों के विकास का मुख्य आधार उपनिवेशक लूट है। जिसको वह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तरीके से करते हैं। पाकिस्तान, बाँग्लादेश सहित हमारे देश भारत को प्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश पुर्तगाली फ्रांसीसी साम्राज्यवादियों ने कब्जा कर उपनिवेशित लूट कर अपने अपने देशों को समृद्ध बनाया था। जिसके कारण हमारे देश में बुद्धिजीवी वर्ग में गुलाम मानसिकता वाले व्यक्तियों की संख्या प्रचुर मात्रा में है जो अमेरिकन साम्राज्यवाद द्वारा किये गये हर कार्य को जायज ठहराने का प्रयत्न करते हैं उसी कड़ी मंे आतंकवाद एक मुख्य हथियार के रूप में इस्तेमाल होता है, कुछ सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी प्रोन्नति, आर्थिक लाभ, प्रचार व अत्याधुनिक साज व सामान को प्राप्त करने के लिये बेगुनाह लोगों को आतंकवाद के नाम पर फर्जी गिरफ्तारी दिखाकर अपने शौर्य पुण्यों को बयां करते हैं।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तथा समाज के प्रबुद्ध वर्ग द्वारा इस तरीके की घटनाओं की जांच से जो परिणाम आये हैं उससे उनकी कलई खुली है लेकिन उनके हौसले पस्त नहीं हुए हैं क्योंकि उन्हें साम्राज्यवादियों की लूट में अपना हिस्सा मिलता नजर आ रहा है।
-मुहम्मद शुऐब
-रणधीर सिंह ‘सुमन’
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तथा समाज के प्रबुद्ध वर्ग द्वारा इस तरीके की घटनाओं की जांच से जो परिणाम आये हैं उससे उनकी कलई खुली है लेकिन उनके हौसले पस्त नहीं हुए हैं क्योंकि उन्हें साम्राज्यवादियों की लूट में अपना हिस्सा मिलता नजर आ रहा है।
-मुहम्मद शुऐब
-रणधीर सिंह ‘सुमन’
सुमन जी आपका सहयोग और प्रयाश लगातार हिन्दुस्तान का दर्द पर दिख रहा है आप इसी तरह अपने अमूल्य विचार हिन्दुस्तान का दर्द पर प्रकाशित करते रहे एवं नए लेखकों को अपनी राय देकर प्रोत्साहित करते रहे..इसी आशा के साथ...
ReplyDeleteसंजय सेन सागर
हिन्दुस्तान का दर्द संपादक