आया त्यौहार दिवाली का॥
बच्चो की खुशहाली का॥
बबलू कहते पाप आ से॥
मुझको अल पी लाना है॥
गुडिया कहती मम्मी से ॥
हमें सितार बजाना है॥
पापा बड़े अचम्भे में है॥
ये मौसम कंगाली का॥
आया त्यौहार दिवाली का॥
विवि कहते पति देव से ॥
जब बोनस तुम पाओगे॥
सबसे पहले हार सुनहरा॥
ला मुझको पहनाओ गे॥
पति देव तो मूक बने है ॥
रूपया देना उधारी का॥
आया त्यौहार दिवाली का॥
फरमाइश से तंग हुए है॥
बब्लू गुडिया के पापा जी॥
पत्नी तो सर चढ़ कर बोले॥
कभी न कहती आओ जी॥
भाग न सकते बच्चो के पापा॥
जो ठेका लिए रखवाली का॥
आया त्यौहार दिवाली का॥
बच्चो की खुशहाली का॥
बच्चो की खुशहाली का॥
बबलू कहते पाप आ से॥
मुझको अल पी लाना है॥
गुडिया कहती मम्मी से ॥
हमें सितार बजाना है॥
पापा बड़े अचम्भे में है॥
ये मौसम कंगाली का॥
आया त्यौहार दिवाली का॥
विवि कहते पति देव से ॥
जब बोनस तुम पाओगे॥
सबसे पहले हार सुनहरा॥
ला मुझको पहनाओ गे॥
पति देव तो मूक बने है ॥
रूपया देना उधारी का॥
आया त्यौहार दिवाली का॥
फरमाइश से तंग हुए है॥
बब्लू गुडिया के पापा जी॥
पत्नी तो सर चढ़ कर बोले॥
कभी न कहती आओ जी॥
भाग न सकते बच्चो के पापा॥
जो ठेका लिए रखवाली का॥
आया त्यौहार दिवाली का॥
बच्चो की खुशहाली का॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर