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राजा तुम दुखी हो............. ?




बुधवार की घटना है, मुख्यमंत्री ने बुधवार को जो कहा गुरुवार को अमल में लाया शुक्रवार ,शनिवार ,रविवार को समय के हिस्से में बहुत सारी बाते खुद व खुद अमल में आ जायेगी । , खुलती परतों से कोई आहत हो तो हम बता दें कइयों को राहत किसी एक को आहत करने से मिलती हो तब यह कदम ज्यादा सर्वश्रेष्ठ होता है या कहलाता है। आखिरी में एक सवाल है।
बुधवार की घटना थी -

कोरबा के एक प्लांट में चिमनी गिरने से धरती के मजदूर जिनकी संख्या 35 है वे मर गए। चिमनी में आग लगी थी। कम्पनी डी.जी.सी.एल. है।
मजदूरों के हितैषी, संवेदनशील, जननायक दयालू -कृपालु (आपके पास और कोई उपमा/या विशेषण हो तो उसे जोड़कर पढ़े) मुख्यमंत्री ड़ॉ. रमन सिंह ने इस हृदय विदारक घटना पर पत्रकारों को मोबाईल पर जो एसएमएस भेजकर अपनी प्रतिक्रिया दी वह थी यह :- क्रमशः आगे पढ़े
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सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

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