एक दिन ऐसा आयेगा॥
नदिया नहलाएगी..मुझको॥
पवन हिलोरे देकर्के॥
आँचल में सुलायेगी ..मुझको॥
ख़ुद आकरके पुष्प पवन लता से॥
हार पिन्हाई गे मुझको॥
नभ से बादल हस करके॥
अमृत पिलायेगे मुझको॥
नई नवेली दुल्हन अर्थी॥
फ़िर अपनायेगी मुझको॥
एक दिन ऐसा आयेगा॥
नदिया नहलाएगी..मुझको॥
नदिया नहलाएगी..मुझको॥
पवन हिलोरे देकर्के॥
आँचल में सुलायेगी ..मुझको॥
ख़ुद आकरके पुष्प पवन लता से॥
हार पिन्हाई गे मुझको॥
नभ से बादल हस करके॥
अमृत पिलायेगे मुझको॥
नई नवेली दुल्हन अर्थी॥
फ़िर अपनायेगी मुझको॥
एक दिन ऐसा आयेगा॥
नदिया नहलाएगी..मुझको॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर