चाँद आज हंस करके बोला॥
उठो नज़र मिला के देखो॥
मिल जायेगी मंजिल तुमको॥
एक बार ज़रा बतला के देखो॥
शरद चंद्र की प्रेम कहानी॥
शरद पूर्णिमा को होती है॥
जो नयन टिकाये इनको देखे॥
उनका जीवन मोती है॥
बाँट रहा हूँ प्रेम पुष्प को॥
एक हार तुम भी तो ले लो॥
पहना देना उस प्रेम कलि को॥
जो नाम तुम्हारा जपती है॥
नज़र गडाए रास्ता देखे॥
तेरी राहे ताकती है॥
तुम हो पुष्प उस महकता बेला॥
वह तो तेरी चमेली है॥
कटुक बचन से दूर रहो तुम॥
वह जीवन की तेरे सहेली है॥
अपने अन्ता मन से उसको॥
दिल में अपने अर्पण कर लो॥
उठो नज़र मिला के देखो॥
मिल जायेगी मंजिल तुमको॥
एक बार ज़रा बतला के देखो॥
शरद चंद्र की प्रेम कहानी॥
शरद पूर्णिमा को होती है॥
जो नयन टिकाये इनको देखे॥
उनका जीवन मोती है॥
बाँट रहा हूँ प्रेम पुष्प को॥
एक हार तुम भी तो ले लो॥
पहना देना उस प्रेम कलि को॥
जो नाम तुम्हारा जपती है॥
नज़र गडाए रास्ता देखे॥
तेरी राहे ताकती है॥
तुम हो पुष्प उस महकता बेला॥
वह तो तेरी चमेली है॥
कटुक बचन से दूर रहो तुम॥
वह जीवन की तेरे सहेली है॥
अपने अन्ता मन से उसको॥
दिल में अपने अर्पण कर लो॥
बहुत सुंदर बातें कही हैं चांद ने।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
धन्यवाद श्रीमान जी...
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